भगवान की लीला पर कभी भी हमें संदेह नहीं करना चाहिए : संत चिन्मयानंद
भगवान की लीला पर कभी भी हमें संदेह नहीं करना चाहिए : संत चिन्मयानंद
खेल परिसर के बाजू वाले मैदान में चल रही भागवत कथा के छठवें दिन शनिवार को संत चिन्मयानंद ने कहा कि इंद्र की अभिमान को तोडक़र के भगवान ने गिरिराज गोवर्धन को उठाया। ब्रिज वासियों की रक्षा की, लेकिन भगवान ने बाद में इंद्र को माफ कर दिया। इसका कारण था की इंद्र ने गलती तो की, लेकिन उसके कारण ब्रिज वासियों को भगवान के साथ रहने का मौका मिला। जब भगवान भक्त के साथ रहते हैं तो कितना भी कोई पाप क्यों ना किया हो भगवान उसको माफ कर देते हैं।
उन्होंने कहा कि भगवान की लीला पर कभी भी हमें संदेह नहीं करना चाहिए, क्योंकि भगवान कृष्ण सामर्थ्य बान हैं। भगवान सात कोस के गिरिराज जी को सात दिन तक अपनी उंगली पर उठा सकते हैं। जो सामर्थ गंगा जी में हैं वह गंगा जल में नहीं है। गंगाजल में यदि कोई कुत्ता मुंह लगा दे तो हम अपने घरों में उस से भगवान का अभिषेक नहीं करेंगे, लेकिन गंगा जी में रोज हजारों कुत्ते बहते चले जाते हैं फिर भी हम गंगा जी को पवित्र मानकर स्नान करते हैं क्योंकि गंगा सामर्थ्य वान है। कथावाचक ने कहा कि हम मनुष्य ईश्वर के अंश जरूर हैं, लेकिन ईश्वर नहीं हो सकते इसलिए हम कभी भी ईश्वर की किसी भी लीला पर संदेह ना करें।
धूमधाम से मनाया कृष्ण जन्म उत्सव
कथा में श्रीकृष्ण रुक्मणि विवाह की कथा सुनाते हुए कहा कि माता रुक्मणि के अनन्य प्रेम से प्रसन्न होकर भगवान कृष्ण ने उनका पाणिग्रहण संस्कार किया। धूमधाम से पंडाल में विवाह उत्सव मनाया गया। भगवान की बारात पांडाल में लाई गई। भगवान श्रीकृष्ण और माता रुक्मणि का वरमाला संस्कार कराया गया। रविवार को सुदामा चरित्र और परीक्षित मोक्ष की कथा का रसपान कराते हुए भागवत कथा को विराम कराया जाएगा।
ये रहे मौजूद
कथा में सांसद डॉ. लता वानखेड़े व पूर्व गृह मंत्री खुरई विधायक भूपेन्द्र सिंह ने शॉल श्रीफल भेंट कर पुष्प माला पहनाकर बापू से आशीर्वाद लिया। कथा में मुख्य यजमान प्रतिभा डॉ. अनिल तिवारी, शिवशंकर मिश्रा, शिल्पा तिवारी, नीरज तिवारी, नीति अनिल दुबे, रितु तिवारी, प्रतिभा चैबे, मनीषा मिश्रा सह यजमान के रूप में अजय श्रीवास्तव, राजकुमार अग्निहोत्री, रत्नेश राजपूत, गोलू रिछारिया व रामवतार पांडे आदि मौजूद रहे।

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