मोक्षदा एकादशी पर सुबह से शाम तक भद्रा और पंचक का साया
मोक्षदा एकादशी पर सुबह से शाम तक भद्रा और पंचक का साया
मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की 11वीं तिथि को मोक्षदा एकादशी के रूप में मनाया जाता है. इस पावन तिथि पर गीता जयंती भी पड़ती है. मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने से सुख-शांति, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही इस दिन गीता का पाठ भी अवश्य करना चाहिए. बता दें कि, इस साल मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती सोमवार 1 दिसंबर 2025 को है.
मोक्षदा एकादशी पर भद्रा का साया
मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती को भगवान विष्णु के आशीर्वाद के साथ जीवन में पवित्रता, शांति और सद्गुण बढ़ाने का श्रेष्ठ अवसर माना जाता है. इसलिए इस दिन लोग व्रत रखते हैं और पूजा पाठ करते हैं. लेकिन इन पावन दिन पर भद्रा का साया रहेगा. ज्योतिष की माने तो 1 दिसंबर को सुबह से लेकर शाम तक भद्रा का साया रहेगा. साथ ही पंचक भी रहेगा. ऐसे में भक्त असमंजस में हैं कि पूजा-पाठ कैसे और कब करें, क्योंकि भद्रा के समय पूजा-पाठ करना वर्जित होता है.
मोक्षदा एकादशी पर भद्रा और पंचक का समय
मोक्षदा एकादशी के दिन 1 दिसंबर 2025 को सुबह 08 बजकर 21 मिनट से शाम 07 बजकर 02 मिनट तक भद्रा रहेगी. इस बार भद्रा का वास धरती पर होगा, इसलिए पूजा-पाठ जैसे धार्मिक आयोजन वर्जित रहेंगे. वहीं पंचक भी रात 11 बजकर 18 मिनट तक रहेगा.
मोक्षदा एकादशी की पूजा कब करें
यदि आप मोक्षदा एकादशी या फिर गीता जयंती की पूजा कर रहे हैं तो भद्रा शुरू होने से पहले ही कर लें. कोशिश करें कि सोमवार को सुबह 08 बजकर 20 मिनट तक आप पूजा संपन्न कर लें. ऐसे में पूजा पर भद्रा का प्रभाव नहीं पड़ेगा.
मोक्षदा एकादशी पारण टाइम
पंचांग के मुताबिक 1 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा और 2 दिसंबर को पारण किया जाएगा. पारण के लिए 2 दिसंबर को सुबह 06 बजकर 52 मिनट से सुबह 09 बजकर 03 मिनट तक का समय रहेगा. इस समय के भीतर एकादशी व्रत का पारण कर लें.

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