सुप्रीम कोर्ट ने पीडब्यूडी अफसरों को दी सख्त चेतावनी

 सुप्रीम कोर्ट ने पीडब्यूडी अफसरों को दी सख्त चेतावनी

 देश की सर्वोच्च अदालत ने मैनुअल स्कैवेंजिंग के मुद्दे पर एक बार फिर सख्त रुख अपनाते हुए दिल्ली की सभी नागरिक एजेंसियों को कड़ा संदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब “नींद से जागने” का समय आ चुका है और किसी भी कीमत पर मजदूरों की जान जोखिम में डालकर सीवर या नालों की सफाई कराना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही अदालत ने दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (PWD) पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना कोर्ट परिसर के बाहर बिना सुरक्षा उपकरण नाला सफाई के लिए मजदूरों को लगाने पर ठोका गया है।



कोर्ट परिसर के बाहर उजागर हुई लापरवाही

यह मामला तब सामने आया जब एमिकस क्यूरी परमेश्वर ने अदालत को जानकारी दी कि सुप्रीम कोर्ट परिसर के गेट नंबर F के बाहर स्टॉर्मवॉटर ड्रेन की सफाई के लिए मजदूरों को बिना किसी सुरक्षा उपकरण के काम पर लगाया गया। यह उस समय हुआ जब खुद सुप्रीम कोर्ट देशभर में मैनुअल स्कैवेंजिंग के कारण होने वाली मौतों पर लगातार निगरानी रख रहा है। जानकारी के अनुसार, यह काम एक ठेकेदार को सौंपा गया था, लेकिन अधिकारियों ने उसकी लापरवाही पर न तो कोई नोटिस जारी किया और न ही ब्लैकलिस्ट करने की कार्रवाई की।


सुरक्षा नहीं तो जिम्मेदारों पर दर्ज होगी FIR

जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि भविष्य में किसी भी हादसे की सूचना मिली तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सीधे FIR दर्ज की जाएगी। अदालत ने साफ कहा, “अगर कोई अनहोनी होती है तो इस कोर्ट के आदेश पर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होगी। यह चेतावनी केवल PWD के लिए नहीं, बल्कि सभी संबंधित विभागों पर लागू होगी।”


नए नियम और कड़े निर्देश

अदालत ने दिल्ली सरकार और उसकी एजेंसियों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। अब कोई भी मजदूर बिना सुरक्षा उपकरणों के नाले या सीवर में नहीं उतरेगा। अदालत ने PWD को आदेश दिया कि वह 4 हफ्तों के भीतर 5 लाख रुपये राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के खाते में जमा करे। साथ ही यह भी चेतावनी दी गई कि यदि भविष्य में इस तरह की लापरवाही दोहराई गई तो भारतीय न्याय संहिता (BNS) के प्रावधानों के तहत कार्रवाई होगी।


ताजा हादसे ने बढ़ाया कोर्ट का गुस्सा

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश उस दर्दनाक घटना के एक दिन बाद आया जिसमें उत्तर-पश्चिम दिल्ली के अशोक नगर में सीवर की सफाई के दौरान एक 35 वर्षीय दिहाड़ी मजदूर की मौत हो गई थी। दो अन्य मजदूर इस हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। बिना किसी सुरक्षा उपकरण के काम कराए जाने की इस घटना ने मैनुअल स्कैवेंजिंग की भयावह सच्चाई को एक बार फिर उजागर कर दिया।


अधिकारियों की टालमटोल पर सवाल

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है जैसे अधिकारी जानबूझकर मामले को टाल रहे हैं और मजदूरों की सुरक्षा को गंभीरता से नहीं ले रहे। अदालत ने इस रवैये को बेहद गैरजिम्मेदाराना बताया और कहा कि मजदूरों की जान की कीमत पर विभाग अपनी लापरवाही नहीं छुपा सकते।


अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को

अदालत ने इस मामले को अगली सुनवाई के लिए 15 अक्टूबर की तारीख दी है। उस दिन यह भी तय होगा कि इस आदेश के बाद बढ़े हुए मुआवजे का लाभ उन परिवारों को भी मिलेगा या नहीं, जिनके प्रियजनों की मौत मैनुअल स्कैवेंजिंग के कारण इस फैसले से पहले हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट का यह कड़ा रुख न केवल दिल्ली सरकार बल्कि पूरे देश की एजेंसियों के लिए चेतावनी है कि मैनुअल स्कैवेंजिंग जैसी अमानवीय प्रथा को समाप्त करने के लिए अब और लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।


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