मूंग कांड में दर्ज हुई एफआईआर शासकीय वेयर हाउस की 300 बोरी मूंग फर्जी तरीके से बेचने का मामला

 




पिपरिया।नजदीकी ग्राम मछेरा कला के शासकीय वेयर हाउस में रखी मूंग में से एक ट्रक मूंग अवैध रूप से बेचे जाने के मामले में आखिरकार ढाई माह बाद एफआईआर दर्ज हो गई है। बनखेड़ी पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार 300 बोरी मूंग की हेरा फेरी के मामले में वेयर हाउसिंग कॉरपोरेशन के मछेरा ब्रांच मैनेजर शैलेश पाटिल तथा ट्रक चालक जीवन मेहरा पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 316 (5), 318 (4) तथा 3(5) के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है।जानकारी के अनुसार वेयर हाउसिंग के प्रबंध निदेशक कार्यालय से आदेश होने के बाद रीजनल मैनेजर के निर्देश से वेयर हाउसिंग कॉरपोरेशन के अतुल रोरठे ने बनखेड़ी थाना पहुंचकर एफआईआर दर्ज कराई है। 

“क्या है मामला”



अवैधरूप से मूंग का परिवहन करते हुए ढाई माह पूर्व 09 अप्रैल 2025 की देर शाम बनखेड़ी की तत्कालीन तहसीलदार अलका एक्का ने एक मूंग से भरा ट्रक पकड़ा था। ट्रक चालक के पास मूंग से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं मिले तथा करीब 300 बोरी मूंग उसमें भरी हुई थी, जिसकी कीमत करीब 15 लाख रु आंकी गई ।ट्रक चालक ने तहसीलदार को बताया कि मछेराकलां स्थित शासकीय एसडब्ल्यूसी वेयरहाउस से मूंग भरकर पिपरिया जा रहा हूं, लेकिन वैध दस्तावेज नहीं है। वही तहसीलदार अलका इक्का ने वेयरहाउस पहुंचकर वेयरहाउस के कर्मचारियों के कथन लिए।मिली जानकारी अनुसार इस पूरे मामले में वेयरहाउस मैनेजर शैलेश पाटिल की भूमिका बेहद संदिग्ध रही।आशंका है कि इस प्रकार के करीब आधा दर्जन ट्रक मूंग से भरकर एक दिन में ही निकले गए,लेकिन एक ही पकड़ में आ सका। पूरे मामले में एसडीएम अनिशा श्रीवास्तव ने जांच करके कलेक्टर सोनिया मीणा को जांच प्रतिवेदन भेजा था।वहीं वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन के रीजनल मैनेजर सहित जांच दल ने जांच प्रतिवेदन प्रबंध निदेशक को भेजा था।मामले में पहले ही वेयर हाउस मैनेजर पाटिल को निलंबित कर दिया गया है।




वर्षों से चल रहा फर्जीवाड़ा




प्राप्त जानकारी के अनुसार पिपरिया के एक बड़े व्यापारी एवं वेयर हाउस प्रबंधन की मिली भगत से एक रैकेट विगत कई वर्षों से संचालित है जो कि शासकीय वेयर हाउसों से मूंग, धान, चना और गेंहू जैसे अनाजों को अवैध रूप से बेच देते हैं। सेटिंग पुख्ता होने के कारण पकड़े जाने का भी खतरा नहीं रहता। चुपचाप ट्रकों में माल भरकर चोरी करके बड़े व्यापारी के मिलों के माध्यम से खपा दिए जाते हैं।

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