मोदी सरकार ने NSAB का किया पुनर्गठन,पूर्व RAW चीफ जोशी को बड़ी जिम्मेदारी

 मोदी सरकार ने NSAB का किया पुनर्गठन,पूर्व RAW चीफ जोशी को बड़ी जिम्मेदारी


भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, खासकर हाल के पहलगाम आतंकी हमले के बाद, मोदी सरकार ने एक बड़ा और रणनीतिक कदम उठाया है। सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB) का पुनर्गठन कर दिया है, जिसके तहत पूर्व रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) प्रमुख आलोक जोशी को बोर्ड का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है, जब दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बन गए हैं। भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है और पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया है, जिससे तनाव और बढ़ गया है।

नए बोर्ड में सात सदस्य शामिल किए गए हैं, जिनमें तीन सैन्य सेवाओं से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। इनमें पूर्व पश्चिमी एयर कमांडर एयर मार्शल पी.एम. सिन्हा, पूर्व दक्षिणी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल ए.के. सिंह और रियर एडमिरल मोंटी खन्ना शामिल हैं। इसके अलावा, भारतीय पुलिस सेवा (IPS) से सेवानिवृत्त दो सदस्य राजीव रंजन वर्मा और मनमोहन सिंह को भी बोर्ड में जगह दी गई है। सातवें सदस्य के रूप में भारतीय विदेश सेवा (IFS) से सेवानिवृत्त बी. वेंकटेश वर्मा को शामिल किया गया है। यह पुनर्गठन राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और वर्तमान संकट से निपटने के लिए सरकार की गंभीरता को दर्शाता है।

पहलगाम हमले ने देशभर में आक्रोश फैला दिया है, जिसमें निहत्थे नागरिकों और पर्यटकों को निशाना बनाया गया था। इस हमले के बाद भारत ने साफ कर दिया है कि वह हमलावरों को सजा देगा, और पाकिस्तान ने दावा किया है कि भारत अगले 24-36 घंटों में सैन्य कार्रवाई कर सकता है। ऐसे में NSAB का पुनर्गठन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। बोर्ड के नए सदस्यों का अनुभव और विशेषज्ञता सरकार को रणनीतिक सलाह देने में अहम भूमिका निभाएगी, खासकर जब देश एक संवेदनशील और तनावपूर्ण स्थिति से गुजर रहा है। यह कदम न केवल सुरक्षा तैयारियों को मजबूत करने की दिशा में है, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को और सशक्त करने का संदेश भी देता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड क्यों अहम?

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB) भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर सरकार को सलाह देने का काम करता है। यह बोर्ड राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) और प्रधानमंत्री को रणनीतिक सुझाव देता है, ताकि देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा से जुड़े खतरों का आकलन और समाधान किया जा सके। बोर्ड में आमतौर पर रक्षा, खुफिया, विदेश सेवा और अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होते हैं, जो अपने अनुभव के आधार पर नीतिगत सिफारिशें करते हैं।

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