इंदौर का Waste Management System पूरे देश ने सराहा
इंदौर का Waste Management System पूरे देश ने सराहा
इंदौर। विशाखापट्टनम में आयोजित चतुर्थ मुख्य सचिव सम्मेलन में प्रस्तुत इंदौर के वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम को पूरे देश ने सराहा। निगमायुक्त शिवम वर्मा ने इसे प्रस्तुत किया। अपर आयुक्त अभिलाष मिश्रा भी इस मौके पर उपास्थित थे।
कार्यशाला का उद्देश्य देश के विभिन्न नगर निगमों के बीच इंदौर के सफल वेस्ट मैनेजमेंट मॉडल का आदान-प्रदान करना और इसे एक अनुकरणीय उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करना था। निगमायुक्त ने जानकारी दी कि इंदौर का माडल न केवल पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान सुझाता है बल्कि आर्थिक लाभ भी देता है।
इन बिंदुओं पर दिया प्रेजेंटेशन
-निगमायुक्त ने प्रेजेंटेशन में बताया कि इंदौर में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमों को वर्ष 2016 के लागू किया। इससे कचरे को एक उपयोगी संसाधन में बदला जा सका।
-इसी तरह इंदौर में एशिया का सबसे बड़ा बायो-सीएनजी प्लांट स्थापित किया गया। यह प्रतिदिन 550 टन गीले कचरे को 18 टन बायो-सीएनजी और 100 टन खाद में बदलता है। इससे शहर के कार्बन फुटप्रिंट में कमी आई है।
-इंदौर में मटेरियल रिकवरी सुविधाओं का नेटवर्क स्थापित किया गया। यह प्लास्टिक, धातु, और कागज के कचरे को पुनर्चक्रण के लिए उपलब्ध कराता है। इससे निगम के राजस्व में बढ़ोतरी हुई है।
- इंदौर नगर निगम ने एशिया में पहली बार कार्बन क्रेडिट्स को सफलतापूर्वक बेचा। इससे वर्ष 2019-20 में निगम को 52 लाख और वर्ष 2020-21 में 8.5 करोड़ रुपये की आय हुई।
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