गायों के लिए स्वर्ग बना एशिया का पहला गो-अभयारण्य
गायों के लिए स्वर्ग बना एशिया का पहला गो-अभयारण्य
ऐसी खबरें तो अक्सर आती हैं कि कई जगह गायों का जीवन नर्क हो गया है, किंतु यदि गायों के लिए किसी फलते-फूलते स्वर्ग का दृश्य देखना हो तो मध्य प्रदेश के आगर-मालवा जिले के ग्राम सालरिया चले आइए। यहां गायों को सुरक्षा-संरक्षा और उत्तम स्वास्थ्य देने के लिए एशिया का पहला गो-अभयारण्य बनाया गया है।
यह प्रोजेक्ट सफल रहा और गायें यहां ठीक उसी तरह अभय होकर विचरण करती हैं, जैसे नेशनल पार्कों में वन्य जीव अभय होकर विचरण करते हैं। यह गो अभयारण्य वर्ष 2017 में तब बनाया गया था, जब मप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गायों की दशा-दिशा सुधारने के लिए इसकी घोषणा की और बजट दिया।
विज्ञानी आधार पर गायों की देखभाल
श्री गोधाम महातीर्थ द्वारा यहां गायों का वर्गीकरण किया गया है। आयु व स्वास्थ्य की स्थिति के अनुसार गायों को अलग-अलग वर्ग में बांटकर उनकी देखरेख की जा रही है। भोजन में सोयाबीन के स्थान पर मसूर का चारा खिलाया जाता है। साथ ही नस्ल सुधार को लेकर भी कवायद की गई। इसका असर यह हुआ कि गायें स्वस्थ हुईं और गो-अभयारण्य का विचार सफल होता गया।
त्येक गाय की देखरेख के लिए प्रतिदिन 71 रुपये खर्च
यहां संस्था को मप्र सरकार द्वारा प्रत्येक गाय की देखरेख के लिए प्रतिदिन 71 रुपये खर्च दिया जाता है, जबकि संस्था के अनुसार एक गाय पर प्रतिदिन 85 रुपये खर्च हो रहे हैं। राशि के इस अंतर को पाटने के लिए संस्था ने गो आधारित उत्पाद प्रोम खाद, वर्मी कंपोस्ट, गोकाष्ट, कंडे, गोबर, गोमूत्र से गोअर्क आदि का विक्रय कर आय बढ़ाई है। साथ ही दानदाताओं का सहयोग भी मिला है।
सफल रहा त्रिस्तरीय संचालक मंडल का फार्मूला
गो अभयारण्य के प्रबंधन के लिए त्रिस्तरीय संचालक मंडल बनाया गया है। प्रमुख सचिव, मध्य प्रदेश शासन की अध्यक्षता में एक राज्य स्तरीय, दूसरा जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय और तीसरा संस्थान के निर्देश में संस्थान स्तरीय संचालक मंडल बनाए गए हैं। ये तीनों संचालक मंडल समय-समय पर अभयारण्य की मानिटरिंग करते हैं। इनकी निरंतर मासिक, त्रैमासिक एवं वार्षिक बैठक होती है। इस कारण यह अभयारण्य सफल है।
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