युवाओं को रोज पढ़ना चाहिए शिवजी का यह स्त्रोत

 युवाओं को रोज पढ़ना चाहिए शिवजी का यह स्त्रोत

धार्मिक कथाओं के अनुसार जन्म से ऋषि मार्कंडेय अल्पायु थे, उनके माता पिता पुत्र की अकाल मौत को लेकर भयभीत रहते थे। बाद में ऋषि मार्कंडेय ने महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर यमराज को लौटने पर विवश किया और दीर्घायु प्राप्त की। इन्हीं ऋषि मार्कंडेय ने बाद में संसार के कल्याण के लिए श्रीमृत्युंजयस्तोत्रम् को लिखा।

इस स्तुति में भगवान शिव के गुणों का बखान किया गया है। मान्यता है कि जो भी भक्त रोज इस स्तोत्र का पाठ करता है उस पर शिवजी की कृपा बनी रहती है। विशेष रूप से सोमवार, त्रयोदशी, चतुर्दशी या श्रावण मास में इसका पाठ जरूर करना चाहिए।



यह मृत्युंजय स्तोत्रम् युवा अवस्था में मन को स्थिर रखने की बहुत जरूरत होती है, उनको अभय और जीवन में पॉजीटिविटी की भी जरूरत पड़ती है। इसलिए युवाओं के लिए भोलेनाथ का यह स्तोत्र विशेष रूप से शुभ फलदायक है। उनकी हर मनोकामना पूरी होगी, जीवन का संकट दूर होगा।

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