रंजिश के चलते पत्थर, कुल्हाड़ी से हमला कर की थी हत्या, जीआरपी ने किया खुलासा
रंजिश के चलते पत्थर, कुल्हाड़ी से हमला कर की थी हत्या, जीआरपी ने किया खुलासा
मेमू शेड के पास दो दिन पहले एक व्यक्ति की हत्या करने के मामले में जीआरपी ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। मृतक सास की तबीयत खराब होने पर उन्हें देखने के लिए आया था जहां पर रंजिश रखने वाले दो आरोपियों ने उसकी हत्या कर दी थी।
थाना प्रभारी बबीता कठेरिया ने बताया कि 21 जुलाई को डिप्टी एसएस से सूचना मिली थी कि मेमू शेड के पास एक शव पड़ा है जिसके बाद स्टॉफ ने पहुंचकर पंचनामा कार्रवाई की और जांच के लिए एफएसएल की टीम को बुलाया। जिन्होंने ने भी मामले की जांच की। उन्होंने बताया कि मृतक आशाराम उर्फ बुद्धू पिता हीरालाल अहिरवार (50) निवासी नानक वार्ड कुछ समय पहले घर बेचकर इंदौर चला गया था। उसकी सास बीना में ही रहती है जिनकी तबीयत खराब होने पर वह उन्हें देखने के लिए आया था। लेकिन मृतक नानक वार्ड में जहां पर रहता था वहां उसकी कुछ लोगों से रंजिश चल रही थी जिसके बाद दो युवकों ने उसकी मेमू शेड के पास पत्थर व कुल्हाड़ी से हमला कर हत्या कर दी। आरोपियों ने पुलिस को बताया कि एक ने उसके हाथ पकड़े थे और दूसरे ने उसके ऊपर एक के बाद एक वार कर उसे लहूलुहान कर दिया, जब वह बचने के लिए भागा तो आरोपियों ने उसे धक्का देकर पटरी पर पटक दिया था, जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी। घटना को अंजाम देने वाला मुख्य आरोपी घटना के बाद विदिशा भाग गया था। जो घटना के दो दिन बाद बीना आया और घटना में उसका साथ देने वाले दोस्त के साथ कुरवाई रोड पर बैठा था, जहां से जीआरपी ने उसे गिरफ्तार कर लिया और थाने लेकर आए। यहां सख्ती से पूछताछ करने पर दोनों ने हत्या करना कबूल किया। हत्यारों ने बताए अनुसार पुलिस ने हत्या में उपयोग की गई कुल्हाड़ी को भी जब्त किया। जीआरपी ने आरोपियों के खिलाफ धारा 103(1) बीएनएस के तहत मामला दर्ज कर उन्हें न्यायालय में पेश किया।
इस तरह सुलझी हत्या की गुत्थी
घटना के बाद जब मृतक के परिजन इंदौर से बीना आए तो उन्होंने नानक वार्ड में ही रहने वाले कुछ लोगों पर हत्या करने की आशंका जताई थी, क्योंकि वह किसी मामले में आशाराम के लिए परेशान कर रहे थे। इसके बाद जीआरपी के लिए हत्या की गुत्थी सुलझाना आसान हो गई।
इनकी रही अहम भूमिका
कार्रवाई में थाना प्रभारी बबीता कठेरिया, एएसआइ मूलचंद, प्रधान आरक्षक राकेश सिंह, महेन्द्र सिंह, आरक्षक अविनाश प्रजापति, जितेन्द्र सिंह, रामशंकर लोवंशी की अहम भूमिका रही।
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