Organ Donation: मजदूर बेटे के ब्रेन डेड होने के बाद आदिवासी परिवार ने अंगदान कर बचाई 4 लोगों की जिंदगी




Organ Donation: झाबुआ। धार जिले के पीपल्दा निवासी आदिवासी परिवार का बेटा राहुल भंवर गुजरात के गांधीनगर में मजदूरी करने गया था। मजदूरी के दौरान वह काम करते हुए गिर गया जिससे उसके सिर में गंभीर चोट लगी। गिरने के बाद उसे अहमदाबाद की एक निजी अस्पताल में ले जाया गया, जहां से उसे अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में रेफर कर दिया गया।


इलाज के दौरान 29 फरवरी को डॉक्टर ने राहुल के पिता एवं स्वजनों को बताया कि राहुल ब्रेन डेड हो गया है। मतलब कि वह अब कभी ठीक नहीं हो पाएगा। जिस पर चिकित्सकों ने उसके अंगदान करने की स्वजनों को सलाह दी। स्वजनों ने उसके अंगदान किए।


चिकित्सकों ने सलाह दी

शिवगंगा के सुशील शर्मा ने बताया कि चिकित्सकों ने स्वजनों को कहा कि राहुल को सच में किसी और के रूप में जिंदा देखना चाहते हैं तो उसके अंगों का दान कर वह अन्य लोगों का जीवन बचा सकते हैं। इस पर राहुल के स्वजनों ने परमार्थ के भाव से प्रेरित हो कर बेटे के अंगों को दान करने का सरहानीय निर्णय लिया।


एक आदिवासी परिवार द्वारा अंग दान करने से 4 लोगों को नवजीवन मिला। उनका यह कदम समाज के लिए प्रेरणा दायक है। गुजरात में अंगदान जागृति अभियान के प्रणेता दिलीप भाई देशमुख (दादा) ने भी राहुल भंवर के स्वजनों की सराहना की।

गुजरात में दादा के मार्गदर्शन में अंगदान चेरिटेबल ट्रस्ट के कार्यकर्ताओं द्वारा अंगदान जागृती की दिशा में काफी सकारात्मक प्रयास किया जा रहे हैं। जिसके परिणाम स्वरुप अंगदान की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है और यह अहमदाबाद सिविल हास्पिटल में 146वां अंगदान हुआ।


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