MP CM News: आईआईटी की तर्ज पर मध्यप्रदेश में इंजीनियरिंग कॉलेज विकसित किए जाएंगे : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
MP CM News: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि भारतीय
संस्कृति जीवंत और अनुसंधानात्मक हैं। संस्कृति की इसी विशेषता से हमारे
यहां निरंतर हजारों वर्षों से रिसर्च को प्रोत्साहन दिया जाता रहा है।
हमारा संकल्प है कि मध्यप्रदेश में आईआईटी की तर्ज पर प्रदेश के
इंजीनियरिंग कॉलेज विकसित किए जाएंगे। आईआईटी के समान कैंपस तैयार किए
जाएंगे। आईआईटी से हो रहे ज्ञान के प्रसार को इंजीनियरिंग कॉलेज के
विद्यार्थी भी सीख सकेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन से भारत को
तकनीकी क्षेत्र में अग्रणी देश बनाने के प्रयासों को गति मिली है। सैटेलाइट
परिसर की स्थापना से मध्यप्रदेश में तकनीकी शिक्षा को नई दिशा मिलेगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव आज उज्जैन के शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में आयोजित
नवाचार, प्रौद्योगिकी एवं उद्यमिता अनुभावतमक विद्यार्जन (डीप-टेक रिसर्च
एंड डिस्कवरी सेंटर) केंद्र के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
केंद्रीय मंत्री शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय भारत सरकार
धर्मेंद्र प्रधान ने वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश को नवीन
ज्ञान परंपरा के केंद्र बनाया जाएगा।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने
उज्जैन के इंजीनियरिंग कॉलेज परिसर में तीन अत्याधुनिक लैब खगोल विज्ञान
एवं अंतरिक्ष अभियांत्रिकी धरोहर तथा नवाचार केंद्र, लेजर इंजिनियरिंग लैब
और मेकर स्पेस लैब का उद्घाटन किया। इस अवसर पर विधायक अनिल जैन कालूहेडा,
महापौर मुकेश टटवाल, अपर मुख्य सचिव मनु श्रीवास्तव सहित आईआईटी इंदौर के
वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि
वैज्ञानिक परंपरा को हमारे यहाँ ऋषि परंपरा के नाम से जाना जाता है, जिसमें
वैज्ञानिकता के आधार पर ज्ञान को सुस्थापित किया गया है। हमारी समृद्ध
संस्कृति, ऋषि परंपरा को नष्ट करने के अनेक प्रयास किए गए। आज प्रधानमंत्री
मोदी के नेतृत्व में पूरी दुनिया में हमारी संस्कृति का परचम लहरा रहा है।
दुनिया यहाँ आकर शिक्षा ग्रहण करेगी, हमारी अच्छाई सीखेगी।
मुख्यमंत्री
डॉ. यादव ने कहा कि उज्जैन में डीपटेक एवं रिसर्च सेंटर का उद्घाटन
विक्रमोत्सव का हिस्सा है। देश के प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 29 फरवरी को
वैदिक घड़ी के उद्घाटन से विक्रमोत्सव-2024 शुभारंभ किया गया। उन्होंने कहा
कि आईआईटियन कानपुर द्वारा भारतीय दृष्टिकोण अपनाते हुए ग्रह, नक्षत्र,
तारों की गणना के आधार पर एक अद्भुत मॉडल प्रस्तुत किया। आज वैदिक घड़ी
देश-दुनिया में उज्जैन की शान बन गई है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि
देश का मान पुनर्स्थापित हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में मध्य
प्रदेश ही नहीं बल्कि समूचे भारत वर्ष में भारतीय ज्ञान परंपरा की ध्वजा
लहरा रही हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आज खगोल विज्ञान
के क्षेत्र में अनुसंधान को और अधिक प्रभावी बनाने के लिये उज्जैन से ही एक
महत्वपूर्ण कार्य का आरंभ किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारी समृद्ध
ज्ञान-परंपरा के कई रहस्य निरंतर उद्घाटित होते जा रहे हैं, जिन्हें दुनिया
स्वीकार कर रही है। हमारी संस्कृति निरंतर नवाचारों को प्रोत्साहन देने के
साथ उन्हें पुष्पित और पल्लवित करती रही है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा
कि खगोल विज्ञान में उज्जैन का विशेष महत्व है। भगवान महाकाल की नगरी से
विज्ञान की धारा प्रवाहित हो रही है। उन्होंने कहा कि उज्जैन विज्ञान की
नगरी के नाम से दुनिया में स्थापित होगी।
मध्यप्रदेश में इंदौर-उज्जैन कॉरिडोर ज्ञान परंपरा का नेतृत्व करे
केन्द्रीय शिक्षा मंत्री प्रधान ने कहा कि मध्यप्रदेश को नवीन ज्ञान
परम्परा का केन्द्र बनाने के लिये इंदौर और उज्जैन कॉरिडोर इसका नेतृत्व
करें। उन्होंने कहा कि आईआईटी इंदौर विस्तृत रोड मैप तैयार कर इसका
क्रियान्वन कराएं। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि बहुत ही प्रसन्नता की बात है
कि आज उज्जैन में नवाचार, प्रौद्योगिकी एवं उद्यमिता अनुभावतमक विद्यार्जन
केंद्र का उद्घाटन कर इसकी नींव रखी गई हैं। आईआईटी इंदौर का यह डीपटेक
रिसर्च सेंटर नई शिक्षा नीति के क्रियान्वन का एक उदाहरण है, जो नवाचारों
को आगे बढ़ाने में सहायक होगा।
मध्यप्रदेशवासियों की रग-रग में अनुसंधान और नवाचार
केंद्रीय
मंत्री प्रधान ने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में मध्यप्रदेशवासियों का
लोहा संसार मान रहा है। प्रदेश के लोगों ने विज्ञान के क्षेत्र में विदेशों
में भी सफलता की झंडे गाड़े हैं। मध्य प्रदेश के लोगों के रग-रग में शोध,
अनुसंधान और नवाचार समाया हुआ है। इन नवाचारों को उचित प्लेटफार्म प्रदान
कर उनका भविष्य के उपयोग के लिए क्रियान्वयन किया जाए। उन्होंने भारतीय
प्रौद्योगिकी संस्थान एवं अन्य संस्थाओं के निर्देशकों और शिक्षकों से कहा
कि भारतीय समृद्ध वैज्ञानिक परंपरा को भारतीय मूल भाषाओं में समझे। 300 से
400 वर्ष पहले किए गए हमारी वर्षा की गणना, हजारों वर्ष पूर्व की हमारी
सटीक काल गणना आदि अनेक खोजों को गहराई से जाने।
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