पहली बार सम्मेद शिखर की प्रतिकृति पर हुआ शिखरजी विधान, उमड़े श्रद्धालु

 



भोपाल। शहर के झिरनों जैन मंदिर पर भोपाल में पहली बार शाश्वत झारखंड के सिद्ध क्षेत्र सम्मेद शिखर की प्रतिकृति बनाकर विधान का आयोजन श्री दिगंबर जैन पंचायत कमेटी एवं ट्रस्ट द्वारा किया गया। इसमें अभिषेक शांतिधारा के बाद आचार्य श्री की पूजन भक्ति भाव से संगीतमय की गई। धार्मिक अनुष्ठान में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आए। उज्जैन सहित अन्य शहरों से आए आचार्यश्री विद्या सागर महाराज के चित्र के समक्ष दीप जलाए। मुनि श्री सुप्रभ, प्रणत सागर महाराज से श्रद्धालुओं ने आशीर्वाद लिया। मुनि सुप्रभ सागर महाराज ने प्रवचन में कहा की यह जीव को अनादिकाल से जन्म जरा मृत्यु का जो रोग लगा है उसे दूर करने का एक मात्र उपाय यह जिनवाणी मां है। मनुष्य जीवन में सबसे उत्कृत पुण्य तीर्थंकर प्रकृति बांध बनना है यह तीर्थंकर बंध सोलहकारण भावना से होता है। सौलह कारण भावना की निरंतरता ही मोक्ष मार्ग को तय करती है। प्रवचन के बाद मुनि संघ का आहारचर्या हुई। सभी श्रद्धालु जन का वात्सल्य भोज हुआ। दोपहर में सम्मेद शिखर की प्रतिकृति पर  विधान मुनिश्री के सानिध्य में  शुरू हुआ। शिखर पर्वत  की सुंदर आकर्षक प्रतिकृति देखते ही बनती थीं। पर्वत पर 25 टोंक बनाई गई। दो टोंक पर भगवान चंद्रप्रभु एवम पार्श्वनाथ भगवान विराजमान रहे। हरियाणा से आए पंडित मुकेश जी द्वारा मंत्रोच्चार कर विधान हुआ। भोपाल  गौरव, जिनेश की गोदी भरने का कार्यक्रम भी हुआ। इस मौके पर पंचायत एवं ट्रस्ट के पदाधिकारी व सदस्य मौजूद रहे। 

No comments

Powered by Blogger.