तीर्थनगरी ओंकारेश्वर से शुरू हुई पंचकोशी यात्रा, उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
ओंकारेश्वर। तीर्थनगरी से देवउठनी एकादशी पर गुरुवार को सुबह 50 हजार से अधिक पंचकोशी यात्रियों का जत्था ओंकारेश्वर से नर्मदा पंचकोशी पदयात्रा पर रवाना हुआ। इसके पूर्व गोमुख घाट पर ध्वज पूजन किया गया। पांच दिवसीय यात्रा में शामिल होने के लिए बुधवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु ओंकारेश्वर पहुंच गए थे। दिनभर नर्मदा नदी के विभिन्न घाटों पर स्नान और ज्योतिर्लिंग दर्शन का सिलसिला चला।
यात्रा में शामिल होने के लिए आई मातृशक्ति ने भजनों के साथ रतजगा किया। इस दौरान ‘भजन हाथ में लिए लकड़ी परकम्मावासी बांध चल्या रे गठड़ी’ की गूंज रही। यह पंचकोशी यात्रा नर्मदा नदी के साथ-साथ 75 किलोमीटर की यात्रा तय कर कार्तिक पूर्णिमा के दिन लौटेगीं। यात्रा की पूर्व संध्या पर ही तीर्थनगरी में उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए पुलिस और प्रशासन को व्यवस्थाएं सुचारू बनाने के लिए सक्रिय होना पड़ा।
पंचकोशी यात्रा के लिए 50 हजार श्रद्धालु पहुंचे
बुधवार को ही करीब 50 हजार पुरुष-महिला पंचकोशी यात्रा में जाने के लिए ओंकारेश्वर पहुंच गए थे। श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए बडे वाहन को नगर में जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। ओंकारेश्वर से कार्तिक एकादशी पर निकलने वाली 48 वीं पंचकोशी पदयात्रा में 80 वर्ष के बुजुर्गों से लेकर बच्चे भी शामिल हुए। ढोलक, मंजीरा और भजनों के अलावा ‘मातृ श्री नर्मदे हर-हर महादेव’ के जयकारे दिनभर गूंजते रहे।
रास्ते में जगह-जगह भंडारे
सनावद रवाना हुई पंचकोशी यात्रा में सबसे आगे महेश्वर के बृजलाल सोनेर ध्वज लेकर चल रहे थे। यात्रा का रास्ते में जगह-जगह स्वागत किया गया। विभिन्न धार्मिक और सामाजिक संगठनों द्वारा इसकी तैयारी की गई थी। भोजन सामग्री के साथ रवाना हुए यात्री यात्रा में शामिल होने वाले ग्रामीण श्रद्धालु अपने साथ पांच दिन की भोजन सामग्री साथ लेकर चलते है। रात्रि पड़ाव के दौरान दाल- बाटी बनाकर श्रद्धालु भोजन करेंगे। रास्ते में जगह-जगह भंडारे भी होंगे। सनावद, बड़वाह, सिद्धवरकूट में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए समाजसेवी संस्थाओं द्वारा पानी, भोजन सहित आवश्यक चीजों के स्टाल लगाकर सेवा दे जाएंगी।
ध्वज पूजन के साथ हुई शुरुआत
23 नवंबर को सुबह छह बजे मां नर्मदा और ममलेश्वर दर्शन कर पूजन पश्चात यात्रा प्रारंभ हुई। पंचकोशी यात्रा के संयोजक राधेश्याम शर्मा ने बताया कि यात्रा में सबसे आगे ध्वज रहेगा। यात्रा की शुरुआत 48 वर्ष पहले सनावद निवासी डा. रविंद्र भारती चौरे ने की थी। ओंकारेश्वर से पदयात्रियों का जत्था रवाना होकर ग्राम अजरूद बागेश्वरी माता दर्शन कर सनावद में रात्रि विश्राम करेगा।
25 नवंबर को कुरंग नदी में स्नान और बडूद ग्राम बड़केश्वर दर्शन कर टोकसर में रात्रि विश्राम रहेगा। 26 नवंबर को गोमतेश्वर के दर्शन कर नाव द्वारा नर्मदा नदी पार कर विमलेश्वर के दर्शन के बाद रामगढ़ होते बड़वाह में रात्रि विश्राम किया जाएगा। 27 नवंबर को सात नवंबर को नागेश्वर से दर्शन कर सिद्धवरकूट पहुंचेगी। 28 नवंबरर को यात्रा सिद्धवरकूट से नर्मदा स्नान ओंकारेश्वर बांध से होकर ओंकारेश्वर पहुंचेगी। ओंकार पर्वत परिक्रमा-दर्शन उपरांत यात्रा का समापन होगा।
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