बच्चे को दें विटामिन-डी से भरपूर डायट, इन बीमारियों के खिलाफ कर सकेगा फाइट


ऑनलाइन गेम और मोबाइल का कारण अधिकांश बच्चे आजकल घर में बैठे रहते हैं और बाहर ग्राउंड में नहीं खेलते हैं। एक तरफ बच्चों की फिजिकल एक्टिविटी कम हो जाती है, वहीं धूप में बाहर नहीं निकलने के कारण शरीर में विटामिन डी की भी कमी हो जाती है। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रत्नेश जैन के मुताबिक, एक अनुमान है कि भारत में कम उम्र के करीब 17 फीसदी बच्चों में विटामिन-डी की कमी होती है।


Vitamin D

की कमी चिंताजनक क्यों

शरीर में Vitamin D की कमी को इसलिए चिंताजनक माना जाता है क्योंकि यह विटामिन शरीर में कैल्शियम को अवशोषित करने में अहम भूमिका निभाता है। यदि शरीर में Vitamin D की कमी होगी तो शरीर में कैल्शियम का अवशोषण ठीक से नहीं हो पाएगा और हड्डियां कमजोर होने लगेगी। इसके अलावा विटामिन डी की कमी से जहां शरीर की इम्यूनिटी कमजोर होती है, साथ ही हृदय रोग और अन्य संक्रमण का भी खतरा बढ़ जाता है।



मांसपेशियां हो जाती है कमजोर

शरीर में Vitamin D की कमी होने पर बच्चों में मांसपेशियां कमजोर होने लगती है। यह भी देखा जाता है कि कुछ बच्चों में Vitamin D की कमी के कारण ऊंचाई भी प्रभावित होती है। यदि बच्चा बहुत ज्यादा छोटा है तो Vitamin D की कमी के कारण दूध के दांतों के विकास में देरी हो सकती है। विटामिन डी की कमी वाले बच्चों, विशेषकर 5 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों में चिड़चिड़ापन के लक्षण दिखाई देते हैं।


ऐसे करें विटामिन-डी की आपूर्ति

शरीर में विटामिन डी की पूर्ति के लिए रोज सुबह 15 से 20 मिनट सूर्य की हल्की रोशनी में बैठना चाहिए। यह विटामिन-डी के सबसे अच्छा प्राकृतिक स्रोत है। इसके अलावा बच्चों में विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए संतुलित डायट देना चाहिए। विटामिन-डी की कमी से बच्चों में रिकेट्स, ऑस्टियोपोरोसिस, अस्थमा, टाइप 2 मधुमेह की समस्या हो सकती है।

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