चांद के बाद अंतरिक्ष फतह करने की तैयारी, कुछ ही देर में लॉन्च होगी 'गगनयान मिशन' की पहली टेस्ट फ्लाइट


गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट को सुबह 8 बजे सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाना था. हालांकि, इसरो ने बताया है कि अब इसे 8.30 बजे लॉन्च किया जाएगा. 



पहले क्या थी गगनयान मिशन की तारीख?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2018 को पहले गगनयान मिशन का ऐलान किया था. गगनयान मिशन के लिए डेडलाइन 2022 तय की गई थी. हालांकि, कोविड और फिर उसकी वजह से पैदा हुए हालातों की वजह से डेडलाइन को आगे बढ़ाना पड़ा. इसरो ने एस्ट्रोनोट्स की सुरक्षा का हवाला देते हुए मिशन की तारीख को 2025 तक कर दिया.


कितने देर का होगा मिशन? 


 टेस्ट मिशन कुल मिलाकर 532 सेकेंड का रहने वाला है. क्रू मॉड्यूल की अंतरिक्ष में लॉन्चिंग से लेकर इसके समुद्र में लैंड करने तक इतना ही वक्त लगने वाला है. टेस्ट फ्लाइट के दौरान रॉकेट की रफ्तार 1307 किमी प्रतिघंटा रहने वाली है. 



लॉन्च के दौरान सबसे बड़ा खतरा क्या होता है?


स्पेस में जब किसी भी रॉकेट को लॉन्च किया जाता है, तो उस वक्त क्रू कैप्सूल में बैठे हुए एस्ट्रोनोट्स की सुरक्षा सबसे बड़ा खतरा होता है. अगर किसी वजह से मिशन को अबोर्ट यानी रद्द करना पड़े, तो एस्ट्रोनोट्स की सुरक्षित वापसी बेहद जरूरी होती है. आज के मिशन के जरिए इस तरह के हालात से निपटने का ही टेस्ट किया जाएगा. 



क्रू अबोर्ट मिशन के दौरान क्या होगा?


17 किमी की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद सेफ्टी सिस्टम रॉकेट से अलग हो जाएगा और आगे के प्रोसेस की शुरुआत करेगा. क्रू कैप्सूल से पैराशूट बाहर आएगा और फिर ये धीरे-धीरे धरती की ओर बढ़ने लगेगा. क्रू कैप्सूल समुद्र में धीरे-धीरे लैंड करेगा. ये लैंडिंग श्रीहरिकोटा के तट से 10 किमी दूर होने वाली है. 


क्रू मॉड्यूल क्या होता है? 


क्रू मॉड्यूल स्पेस में पृथ्वी जैसे वातावरण को देने वाली एक जगह होती है. यहां पर अंतरिक्ष में जाने वाले एस्ट्रोनोट्स रहते हैं. मॉड्यूल के भीतर प्रेशर को कंट्रोल किया जाता है. साथ ही इसे ऐसे तैयार किया जाता है कि स्पेस के हालातों से एस्ट्रोनोट्स को बचाया जा सके. पहली टेस्ट फ्लाइट के जरिए क्रू मॉड्यूल मूल्यांकन के लिए कई सारे फ्लाइट डाटा को इकट्ठा करेगा. साथ ही अन्य सिस्टम की जांच भी होगी. 



इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) सुबह 8.30 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में मौजूद सतीश धवन स्पेस सेंटर से गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट करने वाला है. स्पेस एजेंसी के मुताबिक, पहली 'फ्लाइट टेस्ट व्हीकल एबोर्ट मिशन-1' (TV-D1) के जरिए 'क्रू एस्केप सिस्टम' (CES) का प्रदर्शन देखा जाएगा. इस टेस्ट फ्लाइट में सफलता का मतलब होगा कि अब इसरो आगे के मानवरहित मिशन और अन्य टेस्ट को अंजाम दे पाएगा. इस तरह पहले गगनयान मिशन की ओर कदम बढ़ाए जाएंगे. 


गगनयान मिशन का मकसद इंसानों को अंतरिक्ष में पृथ्वी की निचले ऑर्बिट तक भेजना है. पृथ्वी के सतह से इसकी दूरी 400 किमी है. इसम मिशन के जरिए भारत पहली बार इंसानों को अंतरिक्ष में भेजेगा और उन्हें सुरक्षित वापस लेकर आएगा. भारत का गगनयान मिशन 2025 में लॉन्च किया जाना है. इसे ध्यान में रखते हुए इन तैयारियों को किया जा रहा है, ताकि ये समझा जा सके कि जब इंसानों को अंतरिक्ष में भेजा जाए, तो किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हो. इसे भारत के सबसे महत्वकांक्षी स्पेस प्रोजेक्ट में से एक माना जा रहा है. 


भारत एस्ट्रोनोट्स को पृथ्वी के निचले ऑर्बिट तक पहुंचाने के लिए एलवीएम3 रॉकेट का इस्तेमाल करने वाला है. ये एक ऐसा रॉकेट है, जिसमें सॉलिड, लिक्विड और क्रायोजेनिक स्टेज शामिल हैं. इसरो सुबह से ही अपनी पहली टेस्ट फ्लाइट का लाइव प्रसारण शुरू कर देगा. इसरो का लाइव प्रसारण इसकी ऑफिशियल वेबसाइट, यूट्यूब और फेसबुक पेज पर देखा जा सकता है. राष्ट्रीय प्रसारक दूरदर्शन पर भी इसरो के इस मिशन का लाइव प्रसारण किया जाएगा. इसके अलावा आप एबीपी न्यूज और एबीपी हिंदी पर भी लाइव प्रसारण देख सकते हैं.


भारत ने पहले ही चंद्रयान-3 मिशन के जरिए चांद पर कदम रख दिया है. हाल ही में सूरज की ओर मिशन को भेजा गया. ऐसे में अब भारत स्पेस में धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ाने लगा है. भारत का इरादा स्पेस स्टेशन बनाने का भी है.

No comments

Powered by Blogger.