कांग्रेस नेताओ में “नागपाल” बनने का ऐसा जुनून की अब बाहरी प्रत्याशी भी चलेगा!

 


पिपरिया। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव को क़रीब 90 दिन बचे है।ऐसे में भारतीय जनता पार्टी इन चुनाव को जीतने के लिए जंहा विधानसभावार कार्यकर्ता सम्मेलन करने में जुटी है तो वही भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व सूबे की क़रीब 39 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर चुनावी रण का आगाज कर चुका है।परंतु इसके ठीक उलट जैसे जैसे चुनाव नज़दीक आ रहे है।कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर पहुँचती हुई दिख रही है।कांग्रेस के नेता एवं कार्यकर्ता इस बार अपनी सरकार बनने का दावा करते दिखते है परंतु वह चुनाव कैसे जीतेंगे इसका कोई भी ब्लू प्रिंट उनके पास नहीं है।कांग्रेस नेता जनता के भाजपा से मोहभंग होने की बात पर सरकार बनती देखना चाहते है।पिपरिया विधानसभा में कांग्रेस की हालत दिनो दिन और भी पतली होती जा रही है।कुछ माह पहले कांग्रेस ने नगर-ब्लाक अध्यक्ष में बदलाव कर भाजपा को चिंतित कर दिया था।पिछले 2 माह से कांग्रेस समूची पिपरिया विधानसभा में आक्रामकता के साथ जनहित के मुद्दे उठा कर चुनावी माहौल बनाने में जुटी हुई थी।परंतु कुछ नेताओ ने कमलनाथ से मिल कर छिंदवाड़ा ज़िले के कांग्रेस नेता गुरुचरण खरे को प्रत्याशी बनाने की माँग भोपाल पहुँच कर दी।इन नेताओ का यह तर्क है की पिपरिया से दावेदारी कर रहे टिकितर्थियो के पास चुनाव लड़ने के न तो पर्याप्त संसाधन है और न ही उनके साथ नेता-कार्यकर्ता है।पिपरिया विधानसभा में कांग्रेस कुनबे में अचानक आए इस बदलाव पर पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं का कहना है कि हमारी पार्टी में कुछ नेताओ को भाजपा नेता नवनीत नागपाल बनने का जुनून सवार है।जैसे अभी शासन-प्रशासन में नागपाल की तुती बोल रही है।जिस तरह से अधिकारी उनकी सुन रहे रहे है।नागपाल के इशारों पर बड़े से बड़ा काम मिनटों में हो रहा है।ऐसे ही हमारे कांग्रेस के चुनिंदा नेता चाहते है की वह आने वाले चुनाव के बाद कांग्रेस के “नागपाल”बन जाए।जिसके चलते अब वह बाहरी नेता को टिकिट दिलाने की पैरवी करने से भी नहीं चूक रहे है।कांग्रेस के एक ज़मीनी कार्यकर्ता का कहना है की यह नेता चाहते है की सूबे में सरकार तो कांग्रेस की बने परंतु पिपरिया से कांग्रेस विधायक न जीते।जिससे इनकी भी सरकार में बराबर चलती रहे।क्योंकि यदि कांग्रेस प्रत्याशी जीता और सरकार बनी तो निश्चित उसकी ही चलेगी।बहरहाल पिछले 2 सप्ताह से पिपरिया कांग्रेस में जो कुछ भी चल रहा है।वह भाजपा के लिए इस चुनाव में वरदान साबित होने वाला है।

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