स्वास्तिक से होते हैं वास्तु दोष दूर, जाने कैसे बनाते हैं और क्या है महत्व
स्वास्तिक से दूर करें 'वास्तु दोष'
घर में वास्तु दोष आ गया है, तो स्वस्तिक की चारों भुजाएं चारों दिशाओं की प्रतीक होती हैं और इसीलिए वास्तु का चिन्ह बना कर चारों दिशाओं को एक समान शुद्ध किया जा सकता है। घर के मुख्य द्वार पर दोनों तरफ अष्टधातु या तांबे का स्वस्तिक लगाने से घर से नकारात्मक ऊर्जा को खत्म किया जा सकता है। इसके लिए 9 इंच लंबा और चौड़ा सिंदूर से दरवाजे पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए। इससे नकारात्मक शक्तियां खत्म होती हैं। । अगर आप धार्मिक कार्य में स्वास्तिक का प्रयोग कर रहे हैं तो इसे रोली, हल्दी या सिंदूर से ही बनाना चाहिए। त्योहारों के दौरान स्वास्तिक बनाया जा रहा है तो कुमकुम, सिंदूर या रोली से स्वास्तिक का निर्माण किया जाए। इससे देवी-देवता प्रसन्न होकर आपके घर में वास करते हैं। व्यापार में घाटा हो रहा है तो आपको स्वस्तिक के माध्यम से वास्तु दोष निवारण हो सकता है। इसके लिए लगातार 7 गुरुवार को ईशान कोण को गंगाजल से धोकर वहां पर सूखी हल्दी से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। स्वास्तिक बनाने के बाद आप यहां पर पंचोपचार पूजा अवश्य करें तथा आधा तोला गुड़ का भोग भी लगाएं। वास्तुशास्त्री कहते हैं कि कार्यस्थल पर उत्तर दिशा में हल्दी का स्वास्तिक चिन्ह बनाने से आपको अपने कार्य में बेहद सफलता मिलती है।
स्वास्तिक निर्माण की विधि
ज्योतिषी और वास्तु विद बताते हैं कि स्वास्तिक बनाने के लिए हमेशा लाल रंग के कुमकुम, हल्दी अथवा अष्टगंध, सिंदूर का प्रयोग करना चाहिए। इसके लिए सबसे पहले धन (प्लस) का चिन्ह बनाना चाहिए और ऊपर की दिशा ऊपर के कोने से स्वास्तिक की भुजाओं को बनाने की शुरुआत करनी चाहिए। अक्सर लाल या पीले रंग के स्वास्तिक को बना हुआ ही देखते होंगे, लेकिन कई जगह आपको काले रंग से बना हुआ स्वास्तिक भी दिखाई देता है। इसमें घबराने की बात नहीं है, बल्कि काले रंग के कोयले से बने स्वास्तिक को बुरी नजर से बचाने का उपाय माना जाता है।
स्वास्तिक बेहद शुभ चिन्ह है इसलिए इसे अशुद्ध या गंदे जगह पर बनाने से बचना चाहिए।
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