एमपी के चुनाव में BRS की एंट्री, कहां तक दम मार पाएगी KCR की पार्टी


तेलंगाना के मुख्यमंत्री व भारत राष्ट्र समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर राव ने पार्टी का राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि वह हिंदी बेल्ट उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में भी पार्टी का विस्तार करेंगे। उनकी इस घोषणा के बाद मध्य प्रदेश के चुनावी माहौल में एक और पार्टी का आगमन हो गया है। मध्यप्रदेश का चुनावी इतिहास बताता है कि यहां लड़ाई कांग्रेस और भाजपा तक सीमित रही है, ऐसे में चंद्रशेखर राव को यहां कितनी सफलता मिलती है यह देखने वाली बात होगी।

शनिवार को तेलंगाना भवन में महाराष्ट्र के सोलापुर, नागपुर और अन्य क्षेत्र के तीन सौ से अधिक नेता बीआरएस में शामिल हो गए। इस दौरान चंद्रशेखर ने जोर देकर कहा कि वह पार्टी को मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र समेत पूरे देश में विस्तार करेंगे। मध्यप्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव हैं। चंद्रशेखर ने पार्टी को प्रदेश में मजबूत करने के लिए तैयारी पहले ही शुरू कर दी है।

मध्य प्रदेश के दो नेता बीआरएस में हुए शामिल

31 मई 2023 को बीजेपी के पूर्व सांसद बुद्धसेन पटेल, बहुजन समाज पार्टी के पूर्व विधायक नरेश सिंह गुर्जर, समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक धीरेंद्र सिंह, विमला बागरी, संजय यादव, राकेश मालवीय और सत्येंद्र सिंह समेत कई नेता बीआरएस में शामिल हो गए। बुद्धसेन पटेल को चंद्रशेखर ने मध्यप्रदेश में पार्टी का समन्वयक बनाया है। बीआरएस मध्यप्रदेश में दूसरी पार्टी के नेताओं को तोड़कर धरातल पर अपने आपको खड़ा करने की कोशिश कर रही है।


एमपी में केसीआर करेंगे जनसभाओं को संबोधित

चंद्रशेखर राव तेलंगाना मॉडल को प्रदेश की जनता तक पहुंचाना चाहता है। भाजपा के पूर्व सांसद बुद्धसेन पटेल को प्रदेश का समन्वयक बनाकर उन्हें ये जिम्मेदारी सौंपी है। बुद्धसेन पटेल ने कहा कि मध्यप्रदेश में चंद्रशेखर राव का दौरा होगा। वह यहां कई जनसभाओं को संबोधित कर तेलंगाना मॉडल को जनता तक पहुंचाएंगे।


मध्यप्रदेश की चुनावी राजनीति कांग्रेस व भाजपा तक ही सीमित रही है। क्षेत्रीय दलों ने पहले भी कांग्रेस व भाजपा के इस तिलिस्म को तोड़ने की कोशिश की है, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई। उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय दल मायावती की बहुजन समाज पार्टी व अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने मध्यप्रदेश में कई चुनाव लड़े, लेकिन दोनों ही दल उस स्थिति तक भी नहीं पहुंच पाए, जहां इनके बिना समर्थन के सरकार ही ना बन पाए।

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