एशिया के सबसे बड़ा साहित्य उत्सव 'उन्मेष' में 13 देशों से आएंगे 575 साहित्यकार



भोपाल। एशिया के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव 'उन्मेष' का आयोजन तीन से छह अगस्त तक शहर के रवीन्द्र भवन में होगा। साहित्य अकादमी और संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली के संयुक्त आयोजन का शुभारंभ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करेंगी। इसमें दिन में साहित्य से जुड़ी गतिविधियां होंगी तो शाम के सत्र में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी। देशभर के राज्यों से 36 जनजातीय दल बुलाए गए हैं। हर दिन 12-12 दल लोक नृत्य की प्रस्तुतियां देंगे। 75 से अधिक कार्यक्रमों में 100 भाषाओं के 575 से अधिक लेखक सहभागिता करेंगे। 13 अन्य देशों के लेखक भी शामिल होंगे। उन्मेष का यह दूसरा संस्करण है। पहला आयोजन शिमला में पिछले साल हुआ था।


काव्यशास्त्र-भक्ति साहित्य जैसी गतिविधियां भी हाेंगी


इस अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव के साथ ही संगीत नाटक अकादमी उत्कर्ष शीर्षक से लोक एवं जनजातीय प्रदर्शन कलाओं का राष्ट्रीय उत्सव भी आयोजित किया जा रहा है। इसमें कविता-कहानी पाठ के अलावा, भारतीय काव्यशास्त्र, भारतीय भक्ति साहित्य, सागर साहित्य, भारत की सांस्कृतिक विरासत, भारतीय नाटकों में अलगाव का सिद्धांत, विविधता में एकता, भारत की सौम्य शक्ति, सिनेमा और साहित्य, विदेशी भाषाओं में भारतीय साहित्य का प्रचार-प्रसार, चिकित्सकों का साहित्य, साहित्य एवं प्रकृति, मशीनों का उदय, लेखकविहीन साहित्य, रचनात्मकता बढ़ाने वाली शिक्षा जैसी गतिविधियां होंगी। साथ ही अनुवाद, प्रगति का संचालक और आलोचनात्मक विचार, योग साहित्य, मातृभाषाओं का महत्त्व, फंतासी और विज्ञान कथा साहित्य, ई-साहित्य, नारीवाद और साहित्य, आदिवासी लेखन और हाशिये का स्वर उत्पीड़ितों का उत्थान जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों पर परिचर्चा भी होगी।


समारोह में ये हस्तियां लेंगी हिस्सा


समारोह में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बिस्वा भूषण हरिचंदन, तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन, फिजी के राजदूत कमलेश शशि प्रकाश, एसएल भैरप्पा, शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित, वी कामकोटि, चंद्रशेखर कंबार, विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, गौतम घोष, संजय राय, जयंत महापात्र, आस्कर पुयोल, तुलसी दिवस, एमए आलवार, सुरेश गोयल, गिरीश्वर मिश्र, चित्रा दिवाकारुणी, विष्णु दत्त राकेश, रमेश पोखरियाल निशंक, लिंडा हेस, मामि यामदा, अमीश त्रिपाठी, सोनल मानसिंह, चित्रा मुद्गल, रघुवीर चौधरी, विनय सहस्रबुद्धे, ममता कालिया, महेश दत्तानी, वामन केंद्रे, प्रयाग शुक्ल, सुरजीत पातर, नवतेज सरना, विश्वास पाटिल, नमिता गोखले, महेंद्र कुमार मिश्र, शीन काफ़ निज़ाम, वासमल्ली के. अरुण कमल, गोविंद मिश्र, लीलाधर जगूड़ी और उषा किरण खान आदि शामिल होंगी।

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गठिया रोग से बचाव के लिए भरपूर मात्रा में पीएं पानी


गठिया एक जीर्ण रोग है जिसे क्रानिक डिसीज भी कहते हैं। गठिया के रोगी को बहुत अधिक शारीरिक दर्द का सामना करना पड़ता है। जिसके कारण व्यक्ति अधीर, उत्तेजित व नकारात्मक विचारों से ग्रसित हो जाता है व स्वभाव में चिड़चिड़ापन आने लगता है।


प्राकृतिक चिकित्सक एवं आहार विशेषज्ञ वृंदा खांडवे के अनुसार, गठिया का रोग जब शरीर में बढ़ने लगता है तो सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द होने के साथ ही कब्ज की शिकायत रहने लगती है। गठिया में जोड़ों में दर्द होता है लेकिन यह दर्द अधिकतर पैर के अंगूठे से आरंभ होता है और फिर धीरे-धीरे पूरे शरीर के जोड़ों में फैलता जाता है। जोड़ों में जहां-जहां दर्द होता है वहां हल्की सी गर्माहट होती है और उस जगह पर हल्का लालपन दिखाई देने लगता है।


इससे बचाव के लिए पानी भरपूर मात्रा में पीना चाहिए, हमें ध्यान रखना चाहिए कि शरीर में पानी की कमी न हो। वहीं ठंडी जगहों पर जाने के साथ ही ठंडी चीजों के सेवन से भी बचना चाहिए। खानपान में विशेषकर अत्याधिक नमकीन, तला, बासी, मिर्च-मसालेदार भोजन का सेवन करने से बचना चाहिए। ताजे फल, हरी सब्जियां, सलाद, छिलके वाली मूंग की दाल, मोटा अनाज, लाल रंग के फल, अपने आहार में नियमित शामिल करें।


इसके साथ ही व्यायाम नियमित करें, लेकिन ध्यान रखें कि व्यायाम करते समय जोड़ों या शरीर में किसी भी संधि स्थान पर अत्यधिक दबाव ना आए। अपने शरीर का पोश्चर हमेशा सही रखें, कुर्सी, टेबल पर काम करते समय या किसी भी तरह उठते-बैठते, चलते-फिरते, सोते समय अपना पोश्चर सही रखें।


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