तीन प्रतिशत लोग हेपेटाइटिस के शिकार, दूषित खानपान मुख्य वजह
हेपेटाइटिस (लिवर में सूजन) को लेकर लोगों में जागरूकता नजर नहीं आ रही है। इसके कारण इसकी चपेट में आने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। शहर में तीन प्रतिशत लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं, जो कि चिंताजनक है। इसका मुख्य कारण दूषित पानी और जंक फूड माना जा रहा है।
मरीजों की संख्या बढ़ने का एक कारण कोरोना भी माना जा रहा है, क्योंकि दो साल तक इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्क्रीनिंग ही नहीं की गई है। इसके कारण मरीजों की संख्या और उन्हें समय पर उपचार ही नहीं मिल पाया था। वहीं हेपेटाइटिस का टीका भी सरकार के पास उपलब्ध नहीं है। इसके कारण कई लोग इसको लगवाने से अभी भी वंचित रह गए हैं। इससे बचाव के लिए नियमित खाने में सावधानियां और पानी को हमेशा उबालकर पीना चाहिए।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आकड़े के मुताबिक, अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक करीब 400 मरीज हेपेटाइटिस के मिले हैं। नोडल अधिकारी डा. अजय गुप्ता के मुताबिक, 100 लोगों की स्क्रीनिंग में से तीन पाजिटिव आते हैं। हम लगातार हेपेटाइटिस रोकथाम के लिए जगह-जगह शिविर आयोजित भी करते हैं, ताकि हेपेटाइटिस बी और सी के मरीजों को लिवर कैंसर न हो और वह प्रारंभिक अवस्था में पकड़ में आ जाए।
हम सभी मरीजों का डाटा आनलाइन पोर्टल पर भी अपलोड करते है। हर छह माह में उन्हें जांच के लिए वापस बुलाते हैं। हेपेटाइटिस की जांच निजी अस्पतालों में करीब पांच हजार रुपये तक होती है, जिसे पीसी सेठी अस्पताल में निश्शुल्क करते हैं।
लिवर कैंसर का कारण हेपेटाइटिस बी और सी
विशेषज्ञों के मुताबिक वायरल हेपेटाइटिस वैश्विक स्तर पर मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है, जिससे प्रति वर्ष 1.34 मिलियन मौतें होती हैं। हेपेटाइटिस बी वायरस और हेपेटाइटिस सी लिवर कैंसर के 80% मामलों का कारण बनते हैं। यह जागरूकता नहीं होने के कारण प्रभावित कर सकता है। वर्तमान में हेपेटाइटिस बी से पीड़ित 90% और हेपेटाइटिस सी से पीड़ित 80% लोगों को अपनी स्थिति के बारे में पता नहीं होता है। इसके परिणामस्वरूप उनके जीवन में किसी समय घातक यकृत रोग विकसित होने और कुछ मामलों में, अनजाने में दूसरों तक संक्रमण फैलने की वास्तविक संभावना हो सकती है।
ऐसे फैलता है हेपेटाइटिस बी और सी
- दूसरे द्वारा प्रयोग किया हुआ सीरिंज उपयोग करना।
- असुरक्षित यौन संबंध दोनों विषम लैंगिक और समलैंगिक।
- संक्रमित रक्त और रक्त उत्पादों का ट्रांसफ्यूशन और डायलिसिस आदि।
- दूसरों के उपयोग में लाए गए रेजर, ब्लेड, नेल कटर, टूथ ब्रश का उपयोग करना।
- टैटू, नाक, कान और शारीरिक छेदी के लिए संक्रमित सूई और स्याही का उपयोग।
ऐसे फैलता है हेपेटाइटिस ए और ई
- समय-समय पर हाथ न धोने के कारण।
- स्वच्छ भोजन और पानी न होने के कारण।
नवजात को जन्म के 24 घंटे के अंदर लगवाएं टीका
विशेषज्ञों ने बताया कि हेपेटाइटिस बी से संक्रमित गर्भवती से जन्मे शिशु को भी यह रोग हो सकता है। इसलिए गर्भवतियों को सावाधानियां रखना जरूरी है। गर्भवतियों को जांच करवाना चाहिए। हेपेटाइटिस बी पाजिटिव गर्भवती से जन्मे नवजात को 24 घंटे के अंदर टीका लगवाना चाहिए।
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