सुराज कालोनी आवासहीन और कमजोर वर्ग के लोगों के लिए अतिक्रमण से मुक्त भूमि पर बनेगी - cm केबिनेट
मध्य प्रदेश में अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराई गई शासकीय भूमि पर सरकार सुराज कालोनी बनाएगी। इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में सुराज नीति 2023 का अनुमोदन किया गया।
इस कालोनी में बहुमंजिला भवन बनाए जाएंगे। इसके लिए डेवलपर को भूमि आवंटित की जाएगी। आवास आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के व्यक्तियों और आवासहीनों को ही बेचा जाएगा। प्रदेश में अतिक्रमणकारियों से अब तक 23 हजार एकड़ भूमि मुक्त कराई जा चुकी है। विकास यात्रा में व्यस्त होने के कारण बैठक में केवल आठ मंत्री ही प्रत्यक्ष रूप से शामिल हुए।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि सुराज कालोनी में आवास बनाने में जो लागत आएगी, उसके बराबर की भूमि डेवलपर को व्यावसायिक उपयोग के लिए दी जाएगी। आवास 30 से 40 वर्गमीटर के होंगे। भवन बनाने के बाद संबंधित एजेंसी हाउसिंग बोर्ड या विकास प्राधिकरण को हस्तांतरित कर दिए जाएंगे।
एजेंसी ही उसे एक निश्चित दर पर लाटरी या नीलामी के माध्यम से बेचेगी। इसमें सबके लिए लगभग ढाई लाख रुपये का अनुदान योजना के अंतर्गत क्रेडिट लिंक सब्सिडी स्कीम के तहत उपलब्ध कराया जाएगा। आवास की पात्रता में किसी स्थान से विस्थापित परिवार भी आएंगे। पात्रता के संबंध में अन्य निर्णय के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली साधिकार समिति को अधिकृत किया गया है।
विवाहित पुत्रियों को भी मिले सकेगी अनुकंपा नियुक्ति
शिवराज सरकार ने विवाहित पुत्रियों को भी अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता देने का बड़ा निर्णय लिया है। अभी तक शासकीय सेवक की सेवा के दौरान मृत्यु होने पर अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता पति या पत्नी के अलावा आश्रित पुत्र या पुत्री को थी। विवाहित पुत्री को आश्रित द्वारा नामांकित करने पर भी पात्रता नहीं थी।
इसको लेकर कुछ प्रकरण गृह, ऊर्जा, आर्थिक सांख्यिकी सहित अन्य विभागों के समक्ष आए थे लेकिन प्रविधान नहीं होने के कारण लाभ नहीं मिल पा रहा था। कोरोना महामारी के दौरान आर्थिक एवं सांख्यिकी संचालनालय के अपर संचालक आरएस राठौर की मृत्यु के बाद पत्नी और पुत्र द्वारा अनुकंपा नियुक्ति लेने के स्थान पर विवाहित पुत्री श्रद्धा मालवी का नाम प्रस्तावित किया था।
सामान्य प्रशासन विभाग ने अनुकंपा नियुक्ति नियम 2014 में प्रविधान न होने के कारण प्रस्ताव अमान्य कर दिया था, जिसके विरुद्ध उन्होंने हाई कोर्ट इंदौर में याचिका दायर की थी। निर्णय श्रद्धा के पक्ष में आया पर शासन ने उसका पालन नहीं किया तो उन्होंने अवमानना याचिका दायर कर दी।
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