सिर्फ़ जेल भेजने की धमकी से डर कर कोई परिवार सहित फाँसी पर लटक सकता है क्या!




पिपरिया-शहर का PG कालेज पिछले एक माह से काफ़ी सुर्ख़ियों में है।पहले प्रयोग शाला प्रभारी राजेश रैकवार ने कालेज प्रिंसिपल राजीव माहेश्वरी एवं चोकड़ी पर आरोप लगाते हुए सुसाइड नोट लिख कर पिपरिया स्टेशन पर ट्रेन से कट कर आत्म हत्या कर ली थी।उसके बाद कालेज में दैनिक वेतन भोगी रहे मकरंद विश्वकर्मा ने बीवी व बेटी के साथ फाँसी लगा कर जान दे दी।मकरंद के सपरिवार फाँसी लगाने की घटना से जंहा समूचा शहर स्तब्ध है तो वही उसने जो सुसाइड नोट छोड़ा है वह काफ़ी विवादों से भरा लग रहा है।पुलिस कहानी के अनुसार मकरंद को रैकवार बाबू की पत्नी किसी काग़ज़ के लिए परेशान कर रही थी।काग़ज़ात नहीं देने पर जेल भिजवाने की धमकी दे रही थी।इसके चलते ही उसने सपरिवार फाँसी लगा ली।मकरंद को क़रीब से जानने वाले लोगों के अनुसार वह काफ़ी मेहनतकश था परंतु इतना हिम्मत वाला तो था की सिर्फ़ किसी की जेल भेजने की धमकी से परिवार सहित फाँसी पर लटकने वाला नहीं था।मकरंद के मोहल्ले वालों के अनुसार वह सामान्य ज़िंदगी जी रहा था यदि कोई इतना बड़ा कदम उठाता है तो वह पहले से कुछ परेशान तो दिखता।वही दो दिन पहले जिस रिश्तेदार के कार्यक्रम में मकरंद के साथ जो लोग गए थे उनका कहना है की उसने दिन भर साथ रहने पर भी ऐसा कोई ज़िक्र नहीं किया।मकरंद के हाव भाव से भी नहीं लगा की वह ऐसा करने की सोच रहा हो।पिपरिया पुलिस की कहानी अनुसार सुसाइड नोट से ऐसा प्रतीत होता है की रैकवार बाबू के कुछ काग़ज़ात मकरंद के घर रखे होने का पता बाबू की पत्नी को चला था।जिसके कारण वह दवाब बना रही थी।सूत्रों की माने तो मकरंद ने रैकवार बाबू के परिजनों को बता दिया था की मेरे पास कोई काग़ज़ात नहीं है।परिजन चाहे तो मेरे घर की तलाशी ले सकते है।

-:मकरंद को धमकी देने का क्या मतलबः-

पुलिस कहानी से जो बात सामने आइ है उसके अनुसार मकरंद को जेल भेजने की धमकी दी जा रही थी।परंतु जनता यह बात नहीं समझ पा रही है की आख़िर ऐसा कौन सा गंभीर मामला मकरंद के ख़िलाफ़ था की वह जेल चला जाता।वही रैकवार बाबू के सुसाइड नोट के अनुसार तो रैकवार ने तो मकरंद के कालेज प्रिंसिपल माहेश्वरी द्वारा शोषण करने की बात का ज़िक्र किया है।पूरे सुसाइड नोट में रैकवार ने कही भी मकरंद से किसी भी तरह की परेशानी का ज़िक्र तक नहीं किया है।फिर मकरंद के ख़िलाफ़ कैसे कोई उसे जेल भेजने का दावा कर सकता है।

-:बेटी को कैसे किया होगा तैयार-:

शहर के जागरूक नागरिको ने सोशल मीडिया के माध्यम से सवाल उठाया है की मकरंद ने अपनी बेटी को कैसे  फाँसी के फंदे पर झूलने के लिए तैयार किया होगा।क्योंकि मकरंद की बेटी काफ़ी होनहार थी वह कालेज में पढ़ाई करने के साथ ही खेल में भी प्रतिभावान थी।आज के समय में तो युवा अपने हक़ के लिए कितनी लड़ाई लड़ रहे है।परंतु इस मामले में तो पढ़ी-लिखी बिटिया तक ने फाँसी पर माता-पिता के साथ झूलना पसंद किया परंतु किसी से भी कोई बात नहीं बताई की पापा-मम्मी इतने परेशान है की वह आत्म हत्या तक का निर्णय ले रहे है।इस पूरे मामले में सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है की मकरंद क़रीब 2 दशकों से कालेज सहित शहर में काम किया करता था।वह शहर के सम्भ्रांत लोगों को पहचानता था परंतु उसने किसी से भी कोई मदद क्यों नहीं माँगी की वह इतना ज़्यादा परेशान है।

-:सुसाइड नोट के वायरल होने पर सवालः-

पिपरिया पुलिस सामूहिक आत्म हत्या कांड में कितनी गंभीरता से जाँच कर रही है।इसका उदाहरण सुसाइड नोट के घटना के अगले ही दिन वायरल होने से समझा जा सकता है।जबकि ऐसे मामलों में तो हेड राइटिंग एक्सपर्ट से जाँच के बाद ही पुलिस कोई निर्णय लेती है।परंतु ऐसा नहीं हो सका।सुसाइड नोट किसने और क्यों वायरल करवाया यह गहन जाँच का विषय है।सुसाइड नोट के वायरल होने से किसका फ़ायदा है।यह बात जनता तो समझ रही है परंतु पुलिस नहीं समझ पा रही है।SDOP शिवेंदु जोशी के अनुसार परिजनों को स्टेशन रोड थाने में सुसाइड नोट दिखाया था।वही मकरंद  के परिजनों का कहना है की हम लोगों ने उस सुसाइड नोट की फ़ोटो थोड़ी खींची है।जो हम उसे वायरल कर देंगे।दूसरी ओर इस विवादास्पद मामले में तो पुलिस को जब मकरंद की जेब से सुसाइड नोट मिला था तब SDM(मजिस्ट्रेट)-तहसीलदार की मोजूदगी में पंचनामा बना कर उसे लिफ़ाफ़े में सील बंद किया जाना था।परंतु ऐसा नहीं किया गया।घटना स्थल पर FSL टीम और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के आने से पहले ही शवो को क्यों उतार लिया गया।इसको लेकर भी सवालिया निशान लगाए जा रहे है।

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