धान घोटालाः-क्या बालाजी सिंडिकेट की FDR होंगी राजसात!



पिपरियाः-कस्टम मिलिंग में चांवल बनाने के नाम पर 7 हज़ार क्विंटल से भी ज़्यादा सरकारी धान को खुर्द-बुर्द करने वाली बालाजी सिंडिकेट के ख़िलाफ़ आख़िर ज़िला अधिकारी बड़ी और कड़ी कार्यवाही क्यों नहीं कर रहे है।आख़िर क्यों उसे बार बार मौक़ा दिया जा रहा है।यह गहन जाँच का विषय है।जबकि धान से बनाए चांवल जमा कराने की अंतिम 4 मार्च की तारीख़ भी निकल चुकी है।जिस पर DMO मार्कफ़ेड ने बालाजी सिंडिकेट को केवल अंतिम चेतावनी पत्र जारी किया था।परंतु इस पत्र के 3 दिन बाद भी कोई बड़ी कार्यवाही मिलर के ख़िलाफ़ नहीं की गई है।जानकारो की माने तो अभी तक तो मार्कफ़ेड द्वारा  सूक्ष्म जाँच को पूरा कर बालाजी सिंडिकेट के ख़िलाफ़ FIR की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना था।परंतु ऐसा नहीं हो सका है।जबकि नियम कहता है की यदि कोई मिलर धान का चांवल तय समय में जमा नहीं करता है तो उसके द्वारा दी गई प्रतिभूति राशि को राजसात किया जाएगा।बालाजी सिंडिकेट ने प्रतिभूति के रूप में प्रति धान लाट 3 लाख की FDR एवं 7 लाख के चेक ज़िला विपणन अधिकारी के पास जमा किया है।मतलब की 17 लाट धान के एवज़ में बालाजी सिंडिकेट ने 51 लाख रुपए की FDR एवं 1 करोड़ 19 लाख के चेक विभाग के पास जमा किए है।नियमानुसार FDR को राजसात किया जाएगा।साथ ही चेक भुना कर शासन का घाटा पूरा किया जाएगा।परंतु बालाजी सिंडिकेट के पास क़रीब 17 लाट धान अभी भी है।जिसका चांवल जमा नहीं कराया गया है।इसके लिए DMO मार्कफ़ेड हर तरह का प्रयास कर चुके है।परंतु मिलर हर बार चांवल जमा कराने की नई तारीख़ दे रहा है।इसके बाद भी मार्कफ़ेड अधिकारी कोई कड़ी कार्यवाही नहीं कर रहे है।DMO कार्यालय सूत्रों की माने तो FDR राजसात करने एवं चेक लगाने की कोई भी प्रक्रिया अभी तक चालू नहीं की गई है।इससे समझ आता है की अधिकरी खुद बालाजी सिंडिकेट के प्रति काफ़ी नरम रवैया अपना रहे है।जिससे इस मामले में राज्य शासन को करोड़ों रुपए का चूना लगना तय है।

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