आख़िर किन अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहे धान घोटाले!



पिपरियाः-इलाक़े में लगातार सरकारी धान में घोटाले किए जा रहे है।यह घोटाले कस्टम मिलिंग करने वाले मिलर्स एवं अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहे है।मामले में गहन जाँच का विषय यह है की आख़िर यह कौन से अधिकारी है जो सरकार से तो निगरानी करने का पूरा वेतन लेते है परंतु अपने थोड़े बहुत लाभ के लिए कस्टम मिलिंग की सरकारी योजना को पलीता लगाने का रास्ता भी इन मिलर्स को ही बताया करते है।यही कारण है की पिपरिया में कस्टम मिलिंग करने वाले 2 मिलर्स के ख़िलाफ़ बड़ी कार्यवाही की गई है।सबसे पहली कार्यवाही महाश्री राईस मिलर्स मालिक पर हुई है मामला सोहगपुर ब्लाक में कस्टम मिलिंग के लिए दी गई 2 ट्रक धान को बेचने का सामने आया था।इस मामले में सोहागपुर थाने में FIR दर्ज की गई है।दूसरा मामला बनखेड़ी में माखनलाल हरलाल सोनी फ़र्म द्वारा बिना मिल चालू किए ही धान के क़रीब 7 लाट की 3 हज़ार क्विंटल धान आवंटित तो करवा ली थी।परंतु मिल में बिजली कनेक्शन तक नहीं लिया गया था।इसके बाद भी इसे बिना स्थल निरीक्षण किए हुए ही चांवल बनाने के लिए धान दे गई।इस मामले में भी तहसीलदार बनखेड़ी ने जाँच के बाद बनखेड़ी थाने में मिल मालिक मधु सोनी के ख़िलाफ़ FIR दर्ज की गई है।इन दोनो मामलों के बाद तीसरा सबसे गंभीर मामला वर्तमान में पिपरिया की बालाजी सिंडिकेट का सामने आया है जिसमें मिल मालिक द्वारा क़रीब 52 लाट धान आवंटित तो करा ली गई थी।परंतु अंतिम दिनांक निकलने के बाद भी 19 लाट की 8 हज़ार क्विंटल धान मिल परिसर से ही ग़ायब बताई जा रही है।सूत्रों की माने तो मिल में मौक़े पर किसी भी प्रकार की सरकारी धान नहीं है।जिसके चलते ही DMO मार्कफ़ेड एवं DM नागरिक आपूर्ति निगम के कई बार पत्राचार के बाद भी उक्त धान का चांवल जमा नहीं कराया जा सका है।इस प्रकरण में अब ज़िला प्रशासन सख़्त कार्यवाही करने के मूड में दिखाई दे रहा है।सूत्र बताते है की उक्त मिल मालिक द्वारा बड़ी मात्रा में समर्थन मूल्य पर सरकार को यही धान बेंची गई है।जिसके चलते ही बालाजी सिंडिकेट द्वारा यह बड़ा धान घोटाला किया गया है।इस प्रकरण में बहुत धीमी जाँच भी अधिकारियों की मिलीभगत की ओर साफ़ इशारा कर रही है।

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