गेंहु में तेजी से निजी वेयर हाउसो का भविष्य अधर में!
पिपरियाः-इस बार खुले बाज़ार में गेंहु का भाव सरकारी ख़रीदी से बहुत ऊपर बताए जा रहे है।ऐसे में समर्थन मूल्य पर सरकार को पर्याप्त गेंहु मिलने में भारी दिक़्क़त होना है।क्योंकि किसानो को खुले बाज़ार में जब अच्छा भाव मिलेगा तो वह सरकारी प्रक्रिया में अपना समय और पैसा दोनो बर्बाद करने के मूड में नहीं रहेंगे।जानकारो की माने तो रूस-यूक्रेन युद्ध का असर है की भारत से गेंहु का बम्पर निर्यात अन्य देशों में होगा।यदि गेंहु के भाव इसी तरह से ज़्यादा रहे तो फिर समर्थन मूल्य पर गेंहु ख़रीदी योजना में कम आवक होने के चलते इस सीजन में बनने वाले नए भंडार गृह में सरकार कंहा का स्टाक रखेगी।यही हाल रहा तो नए वेयर हाउस मालिकों को बैंक की किश्त तक चुकाने में पसीना आ जाएगा।सूत्रों की माने तो निजी वेयर हाउस बनाने वाले पूरी तरह से समर्थन मूल्य पर होने वाली गेंहु ख़रीदी पर ही निर्भर है।सरकार द्वारा किए जा रहे गेंहु भंडारण से ही इन निजी गोदामों की किश्त चुक पाती है।ग़ौरतलब है कि पिपरिया इलाक़े में सबसे ज़्यादा वेयर हाउस है।तो वही वर्तमान में भी दर्जनों वेयर हाउस बन रहे है।ऐसे में यदि गेंहु ख़रीदी नहीं होती है तो इन गोदामों का भविष्य गर्त में जा सकता है।
-:सरकार देती है 7 रुपए क्विंटलः-
सरकार समर्थन मूल्य पर जो अनाज ख़रीदी करती है।उसको बड़ी मात्रा में निजी गोदामों में भंडारण किया करती है।इसके बदले में सरकार 7 रुपए क्विंटल का किराया दिया करती है।वही अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी अनाज़ कई वर्षों तक आपकी गोदामों में जमा रह सकता है।जिसका किराया ही वेयर हाउस की कुल लागत के बराबर हो जाता है।दूसरी ओर अनाज व्यापारी जो ख़रीदी करते है।उसे वह ज़्यादा समय तक वेयर हाउस में स्टाक नहीं करते है।
-:2400 रुपए से ऊपर बिक रहा गेंहुः-
मध्य प्रदेश में अभी गेंहु की फसल मालवा प्रांत में आ गई है।मालवा में इस समय गेंहु के भाव क़रीब 2400 रुपए के क़रीब बताए जा रहे है।वही रतलाम मंडी में नया गेंहु 2500 रुपए क्विंटल तक बिक गया है।जानकारो की माने तो आने वाले समय में यह भाव और भी ज़्यादा बढ़ सकते है।ऐसे में यदि पूरे प्रदेश से गेंहु की फसल आती है तो भी यही भाव रहने की उम्मीद जताई जा रही है।जानकार कहते है की मध्य प्रदेश एवं राजस्थान का जो गेंहु है वह निर्यातको की पहली पसंद बताई जा रही है।क्योंकि यंहा के गेंहु में काफ़ी चमक एवं ग्लूकोज़ की मात्रा काफ़ी ज़्यादा है।इसके चलते ही इन 2 प्रदेशों में गेंहु के भाव दूसरे प्रदेश से ज़्यादा होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
-:डेढ़ लाख रुपए से ज़्यादा बनती है किश्तः-
सभी निजी वेयर हाउस किसी न किसी बैंक से फ़ाइनेंस करवा कर ही बनते है।वही केंद्र सरकार भी वेयर हाउस बनाने के लिए महिला के नाम पर 33 प्रतिशत एवं पुरुष के नाम पर 25 प्रतिशत की सबसीडी भी दिया करती है।इतनी सब्सिडी के बाद बैंक को हर महीने क़रीब डेढ़ लाख रुपए की किश्त देनी होती है।यदि सरकार को किसानो ने गेंहु नहीं तुलवाया तो वेयर हाउस इंडस्ट्री काफ़ी घाटे में पहुँच जाएगी।
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