धान घोटालाः-कलेक्टर की मेहनत पर पानी फेर रहे अधिकारी!



पिपरियाः-कलेक्टर नीरज सिंह लगातार ज़िले भर में धान ख़रीदी हो या फिर चांवल की कस्टम मिलिंग योजना हो इन पर सख़्त रुख़ अपनाए हुए थे।कलेक्टर के निर्देश थे की समर्थन मूल्य पर धान ख़रीदी सहित कस्टम राईस मिलिंग में किसी भी तरह की कोताही करने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा।परंतु धान घोटाले में शामिल ज़िले के कई अधिकारियों ने कलेक्टर के निर्देशो को नज़र अन्दाज़ कर चंद पैसो के ख़ातिर जम कर भ्रष्टाचार किया है।जिसके चलते पूरे प्रदेश में नर्मदापुरम ज़िले का नाम धान घोटाले से प्रदेश भर में गूंज रहा है।जिससे स्वयं कलेक्टर की छवि राजधानी में तक धूमिल हुई है।सूत्रों की माने तो इसके बाद ज़िला कलेक्टर ने भी धान घोटाला करने वाले अधिकारियों के ख़िलाफ़ सख़्त एक्शन लेने का मन बना लिया है।आने वाले दिनो में कई अधिकारियों के ख़िलाफ़ FIR तक दर्ज कराने की तैयारी ज़िला प्रशासन कर रहा है।कलेक्टर कार्यालय सूत्रों का कहना है की पहले दिन से कलेक्टर नीरज सिंह के निर्देश थे की इसमें गड़बड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी परंतु किसी भी अधिकारी ने इसे गम्भीरता से नहीं लिया।जिसका परिणाम बहुत ख़राब होगा।

-:कस्टम मिलिंग में सबसे ज़्यादा घोटालेः-

समर्थन मूल्य पर धान ख़रीदी योजना का धान निजी राईस मिलर्स को चांवल दरने के लिए दिया जाता है।इस योजना में सबसे पहला घोटाला पिपरिया की माँ श्री राईस मिल का हुआ जिसके संचालक ने सरकारी धान के 2 ट्रक सोहगपुर में खुले आम बेंच दिए।मामले में सोहागपुर थाने में FIR दर्ज हुई है।बनखेड़ी में भी हरलाल सोनी राईस मिलर को बिना बिजली कनेक्शन एवं मशीनरी फ़िट किए हुए ही क़रीब 3 हज़ार क्विंटल सरकारी धान मार्कफ़ेड द्वारा आवंटित कर दी गई।इस मामले में भी तहसीलदार की रिपोर्ट पर मिल मालिक के ख़िलाफ़ बनखेड़ी थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया गया है।सबसे बड़ा मामला पिपरिया की बालाजी सिंडिकेट राईस मिल संचालक ने किया है जिसने क़रीब 7300 क्विंटल धान का चांवल बना कर अभी तक सरकार के पास जमा नहीं किया है।इस मामले में तो अधिकारी मिल मालिक के ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही नहीं कर सके जबकि नियमानुसार मिल मालिक के ख़िलाफ़ FIR दर्ज कराने के साथ ही उसकी प्रतिभूति में जमा FDR को राजसात करना था।परंतु DMO की ओर से मिल मालिक के प्रति नरमी भरा रवैया अपनाया जा रहा है जो की आम जनता की सोच से परे है।जनता का कहना है की एक ओर ज़िला कलेक्टर कार्यवाही की बात कर रहे परंतु दूसरी ओर DMO बालाजी सिंडिकेट के ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही नहीं कर रहे है।जो की घोटाले में बड़ी मिलीभगत की ओर इशारा कर रहा है।

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