प्रजा के “पति”होने के एहसास के बीच हुई FIR!

पिपरिया:-शहर में इन दिनो जो भी अधिकारी आता है।वह यही का हो कर रह जाना चाहता है।इसका प्रमुख कारण यंहा का वह व्यापारी वर्ग है जो हर लीगल काम के भी भरपूर पैसे दिया करता है।शहर में इन दिनो “भ्रष्टाचार” का नाम बदल कर  “शिष्टाचार” रख दिया गया है। इसी तरह का मामला पिपरिया के सरकारी वेयर हाउस में पदस्थ पूर्व मैनेजर जी.पी प्रजापति के साथ हुआ।प्रजापति अपने आप को पिपरिया के वेयर हाउस मालिकों का माई-बाप समझ बैठे थे।लगातार कई वर्षों से पिपरिया में जमे जी.पी प्रजापति पिपरिया वेयर हाउस एसोसिएशन के कुछ पदाधिकारियों की शह पर दूसरे गोदाम मालिकों पर दवाब बना कर अपने हिसाब से गोदाम को भरवाने एवं ख़ाली करवाने का ठेका ले लिया करते थे।सूत्रों की माने तो एसोसिएशन के पदाधिकारी उन भोले-भाले वेयर हाउस मालिकों को प्रजापति के ज़रिए निशाना बनवातें थे।जिनकी गोदामे हाल ही के दिनो में बनी हो।यही नए नवेले गोदाम मालिक भी लाखों रुपए की चढ़ौत्रि चढ़ा कर अपने गोदाम जल्दी भरवा कर देर से माल उठवाने के खेल में शामिल हो ज़ाया करते थे।मैनेजर प्रजापति का कई बार पिपरिया से तबादला हो चुका है परंतु वह पास के सेंटर मछेरा में अपनी पदस्थापना करवा लिया करता था।जंहा से पिपरिया ब्रांच का प्रभार भी इसके पास ही आ गया था।यही कारण है की प्रजापति ने जम कर वेयर हाउस कारपोरेशन से अनुबंधित गोदामों में अपनी मनमर्ज़ी चलाई।वही निजी वेयर हाउस मालिकों के बीच यह प्रजा के “पति”के रूप में विख्यात हो चले थे।

राईस मिल मालिक की शिकायत पर हुई FIR


अपने आप को प्रजा का “पति” मान चुके जी.पी प्रजापति के ख़िलाफ़ राईस मिल मालिक कृपाल आहूजा की लिखित शिकायत पर मंगलवारा थाने में मामला दर्ज किया गया है।टी.आई अजय तिवारी ने बताया कि आहूजा का मैनेजर योगेश मौर्य पिता डालचंद्र मौर्य ट्रक क्रमांक MP-20 HB 1546 से  290 क्विंटल सरकारी चांवल वेयर हाउस में जमा कराने पहुँचा था।परंतु इस दौरान जी.पी प्रजापति ने मौर्य से गेट पास ले कर फाड़ दिया।आहूजा के मैनेजर से मारपीट भी की गई है।मैनेजर की शिकायत पर प्रजापति के ख़िलाफ़ धारा 294, 323,506 के तहत अपराध दर्ज कर लिया है।कृपाल आहूजा ने इस बात की शिकायत ज़िला कलेक्टर सहित वेयर हाउस कारपोरेशन के आला अधिकारियों से करते हुए कहा है की प्रजापति का पिपरिया से तबादला होने के बाद भी वह पिपरिया के सरकारी वेयर हाउस परिसर में न केवल रह रहे है बल्कि पिपरिया ब्रांच में चल रहे सरकारी काम में दख़ल भी दे रहे है।

*चांवल जमा होने में होता है जम कर भ्रष्टाचार*

सरकारी धान की पिराई कर मिल मालिक चांवल बनाया करते है।वही इस चांवल को ज़िले भर के सरकारी वेयर हाउस में जमा कराया जाता है।सूत्रों की माने तो इस चांवल जमा कराने के खेल में ज़म कर भ्रष्टाचार होता है।संभव है कि इसी भ्रष्टाचार के चलते यह लड़ाई हुई हो।

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