अन्नदाता और पत्रकारों से सवाल पूछने के बजाय ईमानदारी से किसानो की धान ख़रीदे फ़ॉरचून राईस!

 


:-राजवर्धन बल्दुआ की क़लम से:-

पिपरिया:-कांट्रेक्ट फ़ार्मिंग के नाम पर इलाक़े के किसानो को परेशान करने वाली फ़ॉरचून राइस लिमिटेड सार्वजनिक प्रेस नोट जारी कर किसानो और पत्रकारों से सवाल पूछने लगी है।दरअसल पिछले दिनो गाड़ाघाट गाँव के जागरूक किसानो ने फ़ॉरचून राइस द्वारा धान नहीं ख़रीदने की शिकायत विभिन्न मीडिया संस्थानो को बताई थी।



इसमें वह किसान भी शामिल है।जिनका धान तुलवा कर कंपनी ले गई।परंतु 24 घंटे के अंदर ही धान को किसान के घर वापिस भेज कर कहा गया कि धान में बदबू आ रही है।लगातार किसानो द्वारा कहा जा रहा है की धान के भाव ज़्यादा होने के कारण कम्पनी धान बिना कारण के ही रिजेक्ट कर रही है।फ़ॉरचून कम्पनी पर लगातार प्रशासन और किसानो का दवाब दिख रहा है।इसके चलते ही कम्पनी ने प्रेस नोट जारी कर किसानो और मीडिया संस्थानो को सफ़ाई दी है।हालाँकि प्रेस नोट की भाषा काफ़ी आपत्ति जनक है।प्रेस नोट जारी करने वाले फ़ॉरचून राइस लिमिटेड के निदेशक अजय बलोटिया ने कहा है की कम्पनी किसानो का धान ख़रीद रही है।परंतु केंद्र सरकार और राज्य सरकार विरोधी लोग उसको बदनाम कर रहे है।इस पूरे प्रेस नोट में कई बार कम्पनी के काम को एक समाज सेवा के रूप में प्रदर्शित करने का प्रयास किया गया है।परंतु कम्पनी निदेशक यह नहीं बता पा रहे है की क्या वह केंद्र-राज्य सरकार के लिए काम कर रही है की उसको बदनाम किया जा रहा है।वही कम्पनी पत्रकारों व किसानो से सवाल करते हुए कह रही है की यदि किसानो का माल फैल करना होता तो फिर हम किसानो के साथ काम क्यों करते।परंतु इस पूरे प्रेस नोट में कम्पनी निदेशक उन सवालों के जवाब नहीं दे पाए जो किसान और मीडिया पूछ रही है।

:- वह सवाल जिनका जवाब कम्पनी नहीं दे रही है-

फ़ॉरचून कम्पनी किसानो और जागरूक मीडिया के सवालो से लगातार बच रही है।वह सवाल इस तरह है।

1.आख़िर कम्पनी सीधे किसानो से अनुबंध क्यों नहीं करती है।

2.गड़ाघाट के किसानो से फ़ॉरचून कम्पनी के नाम पर ऐग़्रो सर्विस सेंटर के आशीष सोडनी का नाम प्रिंट है।परंतु आशीष सोडनी के दस्तख़त व सील क्यों नहीं है।जबकि किसान के हस्ताक्षर करवायें जा रहे है।

3.उक्त तथाकथित अनुबंध पत्र में कहीं भी धान का बोनस या रेट तय करने की प्रक्रिया का ज़िक्र नहीं है।

4.कीटनाशक दुकानदार आशीष सोड़नी द्वारा फ़ॉरचून कंपनी के तथाकथित अनुबंध पत्र में कहीं भी फ़ॉरचून कम्पनी द्वारा बताई गई कीटनाशक दवाई की लिस्ट पर फ़ॉरचून की सील या हस्ताक्षर नहीं है।

5.ग्राम गड़ाघाट के किसान कैलाश पटेल की धान को HK ट्रेडर्स व फ़ॉरचून के कर्मचारी 17 दिसम्बर को गाँव से तुलवा कर ले जाते है।परंतु 18 तारीख़ को ही वापिस घर पर यह कह कर छोड़ देते है की धान में बास आ रही है।जब धान तुल रही थी तब क्यों नहीं देखा गया कि धान में बास आ रही है।

6.जिन किसानो की धान का सेमपल फेल हुआ है।उनको लिखित में टेस्ट रिपोर्ट क्यों नहीं दी गई है।

7.किसानो का कहना है की यदि रिजेक्ट धान को फिर से टेस्ट कराना हो तो 8 हज़ार रुपए की माँग फ़ॉरचून द्वारा की जा रही है।

:-अब किसान और मीडिया इन सवालों के जवाब की राह देख रहे है।उम्मीद है कि फ़ॉरचून के निदेशक अजय बालटियाँ इन सवालों के जवाब जल्दी देंग़े।

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