किसानों के साथ कंपनियों ने किया छल,आंखे मूंद बैठा रहा कृषी विभाग!
पिपरिया-:सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भले ही हजारो बार अन्नदाताओं के भले की बात कहते हुए कृषी विभाग को किसान विरोधी कंपनियों पर सख्त कार्यवाही करने के आदेश देते रहे परंतु जिले के कृषी विभाग अधिकारियों के कानों में जूं तक नहीं रेंगती हैं।कृषी विभाग किसानों द्वारा की गई शिकायतों पर कार्यवाही करने के बजाय अनुबंध खेती करा रही कंपनी और कीटनाशक दुकानदारो को संरक्षण देने में लगा हुआ हैं।ऐसा ही गौरखधंधा पिपरिया में कई दिनों से कृषी विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा हैं।जिसका खुलासा अब हो सका हैं।मामले में फार्च्यून कंपनी ने किसानों से धान खरीदी का अनुबंध कर उन्हें मनमाने दाम पर पहले तो धान का बीज और उसमें डालने वाली कीटनाशक दवाइयां दी थी। उस समय वादा किया गया था कि इन किसानों की धान कंपनी बाजार भाव से 50 रुपये क्विंटल ज्यादा में खरीद कर किसानों को फायदा पहुंचाएगी।परंतु ऐसा नहीं हो सका।धान का बाजार भाव जब 3 हजार से ज्यादा हो चुका हैं तो फार्च्यून कंपनी के जिम्मेदार अब गायब हैं।किसान अपनी धान बेचने के लिए कंपनी के जिम्मेदारो को फोन लगा रहे हैं तो वह फोन नहीं उठा रहे हैं।वही जब पिपरिया के किसानों ने SDM नितिन टाले को शिकायत करी तो पता चला कि सादे कागज पर फार्च्यून कंपनी ने किसानों के साथ अनुबंध किया हैं। इस अनुबंध में कही भी कंपनी के जिम्मेदारो के दस्तखत तक नहीं हैं।यह अनुबंध कीटनाशक दवा विक्रेताओं के माध्यम से किया गया हैं।जिसके चलते SDM भी प्रभावी कार्यवाही करने में असमर्थ दिखाई दिए हैं।फार्च्यून जैसी दर्जनों कंपनी ने पूरे होशंगाबाद जिले में हजारो किसानों से इसी तरह अनुबंध कर लिया हैं।परंतु इस तरह के अनुबंध की जानकारी कृषी विभाग को नहीं लग सकी हैं।जबकि कृषी विभाग का मैदानी अमला हर जगह तैनात रहता हैं।इस अमले की जिम्मेदारी हैं कि वह इस तरह की अनुबंध खेती की जानकारी सरकार तक पहुंचाए।सूत्रों की माने तो कृषी विभाग के जिम्मेदार जानबूझ कर ऐसे प्रकरणो में आंखे मूंद कर बैठे रहते हैं।जबकि विभाग चाहता तो किसानों को जागरूक कर सही दस्तावेजों के साथ अनुबंध करा सकता था।परंतु कृषी विभाग के जिम्मेदार किसानों के हितों की रक्षा करने के बजाय कीटनाशक दुकानदारो और ऐसी अनुबंध कंपनियों के हितों के संरक्षक बनते दिख रहे हैं।
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