यूरिया घोटाला-:बैंक-सहकारी विभाग की जांच रिपोर्ट में DMO विपणन भी दोषी,परंतु FIR में नाम नहीं!
पिपरिया-:गाड़ाघाट सहकारी समिति में 9 टन यूरिया POS मशीन से एक भूमिहीन मजदूर संदीप प्रजापति को देने का मामला पिछले दिनों सुर्खियों में आया था।मामले में समिति प्रबंधक नारायण पटेल और DMO पिपरिया गोदाम प्रभारी संजीव बर्मन के खिलाफ धारा 420 (34) के तहत मामला दर्ज किया गया हैं।
मामले में सूत्रों की माने तो इस घोटाले की प्रारंभिक 2 जांच अलग अलग विभाग द्वारा कराई गई थी।एक जांच जिला सहकारी केंद्रीय बैंक होशंगाबाद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा पिपरिया बैंक मैनेजर प्रमोद पुरोहित द्वारा की गई थी।जिसमें लिखा गया हैं कि गाड़ाघाट सहकारी समिति की POS मशीन में जो यूरिया प्रदर्शित हो रहा हैं।वह वास्तव में आया ही नहीं हैं।परंतु उसके बाद भी बार-बार DMO विपणन द्वारा इस स्टाक को निल करने के लिए कहा जा रहा था।इसलिए संदीप प्रजापति का अंगूठा लगा कर प्रबंधक ने निल कर दिया गया हैं।DMO द्वारा गलत तरीके से समिति की POS मशीन में स्टाक ट्रांसफर किया गया हैं। दूसरी जांच में
सहकारीता विभाग उपायुक्त जिला होशंगाबाद द्वारा सहकारिता निरीक्षक SS पगारे द्वारा कराई गई थी।जिसमें पगारे ने पाया की DMO विपणन द्वारा समिति को POS मशीन में 9 टन यूरिया जो देना बताया गया हैं।वह वास्तव में समिति को मिला ही नहीं हैं।इसके बाद भी DMO द्वारा बार-बार समिति प्रबंधक को स्टाक निल करने के लिए बोला जा रहा था।जिसके कारण ही प्रबन्धक ने स्टाक निल करने के चक्कर में मजदूर का अंगूठा लगवा दिया हैं।इस जांच में सहकारिता निरीक्षक पगारे ने पाया कि DMO द्वारा गलत तरीके से गाड़ाघाट समिति की POS मशीन में उक्त यूरिया का स्टाक ट्रांसफर किया गया हैं।दो जांचों में DMO की गलती सामने आने के बाद भी उक्त प्रकरण में दर्ज हुई FIR में कही भी DMO विपणन का नाम नहीं लिखा गया हैं।जबकि सरेआम पहली गलती DMO विपणन की रही जिनने बिना किसी कारण ही फर्जी यूरिया स्टाक समिति की POS मशीन में ट्रांफ़सर किया।उसके बाद में उसी उसी फर्जी स्टाक को निल करने के लिए सोसायटी प्रबंधक पर दवाब बनाया हैं।जिसके बाद प्रबंधक ने मजदूर का अंगूठा लगा कर निल कर दिया।परंतु इस मामले में समिति प्रबंधक और गोदाम प्रभारी को ही दोषी माना गया हैं।
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