सोशल मीडिया पर सफाई दे रहा इफको का विक्रय अधिकारी,नहीं आ रहा सामने!

 पिपरिया-गाड़ाघाट में स्थित इफको बाजार से भूमिहीन मजदूर संदीप प्रजापति से POS मशीन में अंगूठा लगा कर 28 टन यूरिया बांटने वाला इफको केंद्र प्रभारी राजीव तिवारी अब अपनी सफाई सोशल मीडिया पर दे रहा हैं।तिवारी का कहना हैं कि मूंग के सीजन में यूरिया किसानों को बांटने के लिए आया था।उसको फुटकर में किसानों को दे दिया गया।उस समय कोरोना काल चल रहा था।इससे किसानों से POS मशीन में अंगूठा नहीं लगवाया गया। मशीन में बकाया स्टाक दिखा रहा था।जिसके चलते इफको सेंटर में हम्माली का काम करने वाले संदीप प्रजापति का आधार कार्ड लेकर अंगूठा लगवा लिया।



तिवारी लगातार अपनी सफाई सोशल मीडिया पर दे रहा हैं।परंतु वह न तो मीडियाकर्मियों के फोन उठा रहा हैं न ही मामले के ज्वलन्त सवालों के जवाब देने के लिए सामने आ रहा हैं।

यूरिया फर्जीवाड़े के इस मामले में इफको के आला अधिकारी भी राजीव तिवारी को बचाने में जुटे हुए हैं।इन अधिकारियों का कहना हैं कि कोरोना काल में किसानों के अंगूठे नहीं लगवाए गए वही POS मशीन से यूरिया का स्टाक निल करने के लिए उक्त हम्माल से आधार कार्ड लेकर उसका अंगूठा लगवा लिया गया हैं।यह एक सामान्य प्रक्रिया हैं।

वही इफको अधिकारी यह नहीं बता पा रहे हैं कि देश का कौन सा कानून किसी भी अनपढ़ हम्माल-मजदूर का आधार कार्ड और अंगूठा बिना उसको जानकारी दिए हुए इस्तेमाल करने की छूट देता हैं।वह भी अति आवश्यक वस्तु यूरिया के फर्जी वितरण को दर्शाने के लिए वही सूत्रों की माने तो इफको बाजार से यूरिया किल्लत के समय जम कर नगद और ऊंचे दामों में यूरिया बेंचा गया हैं।जब इस मामले का खुलासा हुआ तो गाड़ाघाट सहकारी समिति प्रबंधक और इफको केंद्र प्रभारी ने गांव के कई किसानों के आधार कार्ड की फोटो कॉपी लेकर रखते हुए इन किसानों से मिन्नत करी हैं कि यदि कोई जांच दल आये तो वह उसको बता दें कि हमने ही यूरिया लिया हैं।वही गांव के सीधे साधे किसानों का कहना हैं कि ऐसा फर्जीवाड़ा तो हर साल होता हैं।परन्तु गांव में रहना हैं और खेती भी करनी हैं यदि इन लोगों का विरोध किया तो यह लोग खेती के लिए मिलने वाले खाद-बीज तक से मोहताज करवा देंगे।इसके कारण ही सोसायटी क्षेत्र में खेती करने वाले कृषक सोसायटीे प्रबंधक नारायण पटेल द्वारा हर साल लगातार लाखों रुपये एकड़ की खेती की जमीन खरीदने के किस्से दबी जुंबा में बता रहे हैं।

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