"सिस्टम"उत्सव मनाने में व्यस्त हैं, जनता "सिस्टम" से त्रस्त हैं!
"सिस्टम"उत्सव मनाने में व्यस्त हैं, जनता "सिस्टम" से त्रस्त हैं!
पिपरिया-:समूचा प्रशासन इन दिनों मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस के रंगारंग कार्यक्रम में व्यस्त नजर आ रहा हैं। 3 दिवसीय उत्सव के लिए 1 हफ्ते पहले से ही अधिकारी काम पर लगे हुए हैं। जनता इन अधिकारियों को तलाशने के लिए सरकारी कार्यालयों में भटक रही हैं। महकमें के लोग अधिकारी कंहा गए हैं यह बताने के लिए भी तैयार नहीं हैं।वही जब अधिकारियों से त्रस्त जनता को पता लगा की 1 नवम्बर को मध्य प्रदेश का स्थापना दिवस हैं और पटवारी से लेकर बड़े साहब तक इसमें व्यस्त हैं तब जनता के मुंह से अपशब्द निकले और बोली की अभी हाल ही में दशहरा और दीपावली पर लंबी छुट्टी सरकारी कार्यालय की हो चुकी हैं। अब यह स्थापना दिवस की कसर और रह गई हैं।वही दूसरी ओर नगर के जागरूक नागरिको का कहना हैं की यदी सरकार उत्सव ही मानाना चाहती हैं तो उसे यह करना था की 3 दिन रात 8 बजे तक सरकारी कार्यालय खुले रहेंगें। 3 दिन राजस्व प्रकरणों को और तेजी से सुना जाएगा।3 दिन पटवारी खसरा किश्तबन्दी और बही की कॉपी को घर घर बांटने जायेंगें।परंतु ऐसा ना हो कर कही दौड़ हो रही हैं तो कही क्रिकेट खेलने में अधिकारी व्यस्त हैं। कही आर्केस्ट्रा होगी।कही कबड्डी तो कही दंगल खेला जा रहा हैं। इन सभीं कार्यक्रमो से जनता का क्या भला होना हैं।दूसरी ओर इन कार्यक्रमो की तैयारी के नाम पर भी लाखों रुपये चंदा कर बर्बाद किया जा रहा हैं तो वही सरकार ने भी मोटा बजट आवंटित किया हुआ हैं
पिपरिया-:समूचा प्रशासन इन दिनों मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस के रंगारंग कार्यक्रम में व्यस्त नजर आ रहा हैं। 3 दिवसीय उत्सव के लिए 1 हफ्ते पहले से ही अधिकारी काम पर लगे हुए हैं। जनता इन अधिकारियों को तलाशने के लिए सरकारी कार्यालयों में भटक रही हैं। महकमें के लोग अधिकारी कंहा गए हैं यह बताने के लिए भी तैयार नहीं हैं।वही जब अधिकारियों से त्रस्त जनता को पता लगा की 1 नवम्बर को मध्य प्रदेश का स्थापना दिवस हैं और पटवारी से लेकर बड़े साहब तक इसमें व्यस्त हैं तब जनता के मुंह से अपशब्द निकले और बोली की अभी हाल ही में दशहरा और दीपावली पर लंबी छुट्टी सरकारी कार्यालय की हो चुकी हैं। अब यह स्थापना दिवस की कसर और रह गई हैं।वही दूसरी ओर नगर के जागरूक नागरिको का कहना हैं की यदी सरकार उत्सव ही मानाना चाहती हैं तो उसे यह करना था की 3 दिन रात 8 बजे तक सरकारी कार्यालय खुले रहेंगें। 3 दिन राजस्व प्रकरणों को और तेजी से सुना जाएगा।3 दिन पटवारी खसरा किश्तबन्दी और बही की कॉपी को घर घर बांटने जायेंगें।परंतु ऐसा ना हो कर कही दौड़ हो रही हैं तो कही क्रिकेट खेलने में अधिकारी व्यस्त हैं। कही आर्केस्ट्रा होगी।कही कबड्डी तो कही दंगल खेला जा रहा हैं। इन सभीं कार्यक्रमो से जनता का क्या भला होना हैं।दूसरी ओर इन कार्यक्रमो की तैयारी के नाम पर भी लाखों रुपये चंदा कर बर्बाद किया जा रहा हैं तो वही सरकार ने भी मोटा बजट आवंटित किया हुआ हैं
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