अजब म.प्र वेयर हाउसिंग कारपोरेशन का ग़ज़ब खेल!


पिपरिया:-M.P अजब है सबसे ग़ज़ब है..यह विज्ञापन बहुत समय पहले खुद राज्य सरकार के टूरिज़म डिपार्टमेंट ने बनाया था।परंतु आज भी उक्त विज्ञापन में गुनगुनाई गई लाईने सरकारी महकमों में सच साबित हो रही है।हम बात कर रहे है प्रदेश के वेयर हाउसिंग क़ारपोरेशन की जिसमें सहायक गुणवत्ता नियंत्रक को वेयर हाउस शाखा का प्रबंधक नियुक्त कर दिया जाता है।जबकि उसका काम कोरपोरेशन के गोदामों में रखे अनाज की गुणवत्ता को समय-समय पर जाँचना और उसकी रिपोर्ट गुणवत्ता नियंत्रक को देना होता है।परंतु मध्य प्रदेश वेयर हाउसिंग कारपोरेशन में चल रही भर्राशाही का नतीजा यह है की सहायक गुणवत्ता नियंत्रक को पिपरिया-बनखेड़ी जैसी “मलाईदार” जगह पर शाखा प्रबंधक की हैसियत से नियुक्त कर दिया जाता है।जंहा पर एशिया के सबसे ज़्यादा निजी वेयर हाउस है।इन इलाक़ों में राज्य सरकार बम्पर रूप से समर्थन मूल्य पर गेंहु-धान की ख़रीदी भी करती है और इनको न केवल सरकारी वेयर हाउस में रखती है बल्कि निजी गोदामों को भी किराए पर ले कर गोदाम मालिकों को हर साल करोड़ों रुपए का किराया भुगतान गेंहु-धान के एवज में किया करती है।इस किराया भुगतान एवं निजी गोदाम किराए पर लेने का पूरा अनुबंध कार्य कारपोरेशन का शाखा प्रबंधक देखा करता है।

:-प्रजापति है सहायक गुणवत्ता नियंत्रक:-

हाल ही में म.प्र वेयर हाउसिंग कारपोरेशन द्वारा तबादला सूची जारी की गई है।जिसमें जी.पी प्रजापति (पद-सहायक गुणवत्ता नियंत्रक) को मछेराकला बनखेड़ी से शाखा प्रबंधक नरसिंहपुर भेजा गया है।इसके पहले प्रजापति लगभग 3.5 साल तक पिपरिया सरकारी वेयर हाउस में शाखा प्रबंधक के पद पर भी क़ाबिज़ रहे है।एक समय में प्रजापति के अधीन लगभग 70 लाख बोरे की क्षमता वाली निजी गोदामे आती थी।जिनमे सरकारी अनाज का ही भंडारण होता था।

:-गोदाम जल्दी भराने और देर से ख़ाली होने का खेल:-

पिपरिया एवं आसपास क़रीब 1 करोड़ बोरे की क्षमता वाली वेयर हाउस गोदाम स्थित है।इनमे लगभग 70 प्रतिशत निजी गोदामों में सरकारी ख़रीद का अनाज भरा जाता है।इन गोदामों को जल्दी भरने एवं देर से ख़ाली कराने के काम में वेयर हाउसिंग कारपोरेशन के शाखा प्रबंधक का बड़ा रोल रहा करता है।ऐसे में पिपरिया शाखा प्रबंधक का यह पद काफ़ी “मलाईदार”भी माना जाता है।सूत्रों की माने तो हर साल गोदामों को भरने और ख़ाली कराने के भ्रष्टाचाररूपी खेल में करोड़ों रुपए के वारे-नयारे किए जाते है।अनाज जितने ज़्यादा से ज़्यादा समय निजी गोदामों में रखा रहता है।उतना ज़्यादा फ़ायदा गोदाम मालिक को होता है।इसके लिए वेयर हाउस मालिक प्रति गोदाम लाखों रुपए खर्च कर देते है।ऐसे में इतने महत्वपूर्ण पद पर सहायक गुणवत्ता नियंत्रक को कई वर्षों तक बैठाना कही न कही कारपोरेशन के पूरे सिस्टम को कठघरे में खड़ा कर रहा है।

:-चना घोटाला भी सुर्ख़ियों में:-

सूत्रों की माने तो सरकारी वेयर हाउस पिपरिया में कुछ माह पहले सरकारी ख़रीद में रखे चना स्टाक के बोरो में भी बड़ा हेर-फेर किया गया है।हमारे सूत्र बताते है की इस घोटाले की शिकायत स्थानीय स्तर से लेकर कारपोरेशन के होशंगाबाद एवं भोपाल मुख्यालय तक लिखित में की गई थी।परंतु भ्रष्ट सिस्टम ने इस शिकायत को रफ़ा-दफ़ा कर दिया।

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