सेम सेक्स मैरिज पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का छठा दिन केंद्र ने पूछा- समलैंगिक शादी में पत्नी कौन होगा, जिसे भरण-पोषण का अधिकार मिलता है

 


नई दिल्ली। सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने वाली 20 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में छठे दिन की सुनवाई खत्म हो गई है। मामले की अगली सुनवाई 3 मई को होगी। कोर्ट ने केंद्र सरकार से 3 मई तक जवाब मांगा है कि वे बताएं कि समलैंगिक जोड़ों को कानूनी मान्यता के बिना भी शादी


की अनुमति दिए जाने से क्या फायदा होगा। सुनवाई के दौरान

केंद्र का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने पूछा कि समलैंगिक विवाह में पत्ती कौन होगा, जिसे भरण-पोषण का अधिकार मिलता है। गे या लेस्बियन मैरिज में पत्ती किसे कहेंगे।


इस पर CII चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर यह जिक्र सेम सेक्स मैरिज में लागू करने के लिए किया जा रहा है तो इसके मायने हैं कि पति भी रखरखाव का दावा कर सकता है, लेकिन अपोजिट जेंडर वाली शादियों में यह लागू नहीं होगा। सुनवाई CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस रवींद्र भट, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस हिमा कोहली की संवैधानिक बेंच कर रही है।


स्पेशल मैरिज एक्ट केवल अपोजिट जेंडर वालों के लिए है। अलग आस्थाओं वालों के लिए इसे लाया गया। सरकार बाध्य नहीं है कि हर निजी रिश्ते को मान्यता दे। याचिकाकर्ता चाहते हैं 

 कि नए मकसद के साथ नई क्लास बना दी जाए। इसकी कभी कल्पना नहीं की गई थी सरकार को किसी रिश्ते को मान्यता देने में धीमा चलना होगा, क्योंकि इस स्थिति में वह सामाजिक और निजी रिश्ते के मंच पर होता है। देखा जाए तो अपोजिट जेंडरवालों में शादियों को नियंत्रित नहीं किया जाता है, लेकिन समाज को लगता है कि आप लोगों को किसी भी उम्र में और कई बार शादी की इजाजत नहीं दे सकते। ऐसी कई चीजें हैं।


अपोजिट जेंडर वाले समलैंगिकों को दिए जाने वाले बेनिफिट की मांग सकते हैं। यह

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