दिसंबर तक निजी क्षेत्र द्वारा 10 लाख टन तुअर का आयात किया जाएगा

 


इंदौर।इस वर्ष बाजार में आपूर्ति सुगम एवं सरल बनाने के लिए निजी व्यापारियों के माध्यम से 10 लाख टन तुअर का आयात किया जाएगा।यह योजना सरकारी स्तर पर बनाई गई है।कृषि मंत्रालय के अनुसार फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) में तुअर का उत्पादन 43.4 लाख टन से घटकर 38.9 लाख टन होने का अनुमान है।उपभोक्ता मामले के सचिव के अनुसार गुलबर्गा इलाकों (कर्नाटक) में मौसम एवं सूखे की बीमारी की वजह से तुअर के उत्पादन में कमी हो सकती है।इस कमी को आयात से पूरा किया जाएगा।इसके लिए योजना भी बना ली है।चालू विपणन वर्ष (दिसंबर-नवंबर) के दौरान आयात किया जाएगा।इस संबंध में खाद्य सचिव ने निजी व्यापारियों से पूर्व में ही चर्चा कर ली गई है।दिसंबर माह में दो लाख टन तुअर का आयात कर लिया गया है।तुअर का सर्वाधिक आयात अफ्रीकी देशों एवं कुछ मात्रा में म्यांमार से किया जाएगा। आयात मार्च 2024 तक ओजीएल है। तुअर में दो दिन में 150 रुपए टूट गए। तुअर दाल में वार्षिक स्टॉक करने वालों की ग्राहकी अभी तक विशेष रूप से नहीं निकली है।अन्य दालों की ऐसी ही स्थिति है।मुंबई-चेन्नई उड़द 6750 रुपए बताया गया। डॉलर चने की आवक 200 नया 100 बोरी पुराने की आवक रही।नया डॉलर एवरेज 11000 से 12200 बोल्ड 12500 से 12700 रुपए।लगभग सभी दलहनों के भाव स्थिर रहे ।निमाड़ से ओने नई वाली तुअर में नमी अधिक होने से मिलें लेवाल नहीं बनती है।कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 27 जनवरी तक रबी में फसलों की कुल बोवनी 5.78 करोड़ हेक्टेयर की तुलना में 7.92 लाख हेक्टेयर में हुई है। बताया जाता है कि अधिकांश बोवनी का कार्य समाप्त हो गया है।कहीं-कहीं केवल धान की बोवनी हो रही है।आगामी दो माह में बोवनी जारी रहकर 30 लाख हेक्टेयर में और हो सकती है। इस रबी सीजन में दलहनों की बोवनी 1.64 करोड़ हेक्टेयर से बढ़कर 1.65 लाख हेक्टेयर, तिलहन की 1.50 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 1.80 लाख हेक्टेयर, गेहूं की बोवनी पिछले वर्ष इसी अवधि में 3.40 करोड़ हेक्टेयर के मुकाबले बढ़कर 3.42 करोड़ हेक्टेयर के करीब हुई है।आगामी दो माह मौसम अनुकूल बना रहा। तब गेहूं का उत्पादन 11.20 करोड़ टन होने का अनुमान लगाया जा रहा है।रबी में. मोटे अनाजों की बोवनी पिछले वर्ष 49.57 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 51.90 लाख हेक्टेयर में हुई है। इसमें मक्का की बोवनी पिछले वर्ष 1792 एवं इस वर्ष 21.36 लाख हेक्टेयर में हुई है।विश्वभर में मोटे अनाजों का प्रचार किया जा रहा है।किंतु भारत में ज्वार जैसी जिंस के प्रति किसानों का रुझान कम है।ज्वार महंगी होने से इसकी खपत में बड़ी मात्रा में गिरावट आई है।ज्वार की बोवनी गत वर्ष 24.25 लाख हेक्टेयर से घटकर 22.41 लाख, बाजरा 16 हजार से घटकर 15 हजार हेक्टेयर में हुई ।

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