मुख्यमंत्री ने इंदौर में जी-20, कृषि कार्य समूह की पहली बैठक को किया संबोधित

 मुख्यमंत्री ने इंदौर में जी-20, कृषि कार्य समूह की पहली बैठक को किया संबोधित

मुख्यमंत्री चौहान ने देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में अतिथि देवो भव: की भावना के साथ जी-20 के सम्मेलन में पधारे अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि जी-20 सम्मेलन का ध्येय वाक्य "एक धरती-एक परिवार-एक भविष्य" भारतीय विचार परम्परा में सदियों से विद्यमान है। सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत् का श्लोक सभी के सुखी, मंगलमयी, रोगमुक्त होने और सबके कल्याण की कामना करता है। भारत जियो और जीने दो के सिद्धांत को मानता और उसको क्रियान्वित करता है। जी-20 की सोच भी इसी के अनुरूप है। लगातार बढ़ती जनसंख्या के कारण खाद्य सुरक्षा आज विश्व के सामने महत्वपूर्ण विचारणीय विषय है। विश्व का मात्र 12 प्रतिशत भू-भाग कृषि के योग्य है। वर्ष 2030 तक खाद्यान्न की माँग 345 बिलियन टन हो जाएगी, जबकि वर्ष 2000 में यह माँग 192 बिलियन टन थी। यह प्रत्यक्ष है कि न तो कृषि भूमि में वृद्धि होने वाली है और न ही हमारे प्राकृतिक संसाधन बढ़ने वाले हैं। यह गंभीर चिंतन का विषय है कि कृषि योग्य भूमि का हम समुचित उपयोग भी करें और कृषि भूमि की उत्पादकता बढ़ाने के लिए हम उपयुक्त प्रयास भी करें।


मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मैं स्वयं भी एक किसान हूँ। मैंने अपनी आजीविका का निर्वहन कृषि गतिविधियों से करने का प्रण लिया है। भारत में कृषि को श्रेष्ठतम कार्य माना गया है। भारत में बड़ी संख्या में लोग आज भी कृषि कार्य में लगे हैं। मैं स्वयं भी माह में एक बार अपने खेत पर अवश्य जाता हूँ और खेती में नवाचार का प्रयास भी करता हूँ।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि यदि हमें दुनिया की खाद्यान्न की आवश्यकता को पूर्ण करना है तो हमें प्रतिबद्धता के साथ कुछ कार्य करने होंगे। पहले तो हमें उत्पादन बढ़ाना होगा। इसके लिए मैकेनाइजेशन, डिजिटलाइजेशन, नई तकनीक और नए बीज के उपयोग को निरंतर प्रोत्साहित करना होगा। इस दिशा में मध्यप्रदेश में लगातार प्रयास हो रहे हैं। छोटे-बड़े किसानों, महिलाओं और युवाओं को नई तकनीक के उपयोग के लिए प्रेरित करना होगा। इससे आवश्यकता अनुसार खाद्यान्न की आपूर्ति में सहायता मिलेगी।

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