भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ मुख्यमंत्री की ज़ीरो टालरेंस निती का उल्लंघन कर रहा शिक्षा विभाग!

 


“ईओडब्ल्यू ने नोटिस जारी कर मांगी जानकारी”

भोपाल।सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार अपने मंत्रियों व अधिकारियों को भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टालरेंस निती अपनाने की हिदायत देते रहे है।इसके चलते पिछले दिनो मुख्यमंत्री ने अपने मंच से छोटे अधिकारियों से ले कर कलेक्टर तक को हटाने के निर्देश जनता के बीच से ही दिए है।परंतु इसके विपरीत स्कूली शिक्षा विभाग भ्रष्टाचारीयो को बड़े बड़े पद दे कर पुरस्कृत करने में जुटा है।ताजा मामला भोपाल डीपीसी की नियुक्ति करने का है।स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत भोपाल जिला शिक्षा केंद्र में डीपीसी का पद बीते कई सालों से विवाद का मुख्य केंद्र बना हुआ है।भोपाल डीपीसी पद पर नवनियुक्त डा. सीमा गुप्ता को ईओडब्ल्यू ने नोटिस जारी किया है।दरअसल व्याख्याता डा. सीमा गुप्ता पूर्व में प्रतिनियुक्ति पर जिला शिक्षा केंद्र में एसीपी पद पर नियुक्त थी। उनकी पदस्थापना के दौरान 2015-16 में भोपाल जिले में प्रायवेट स्कूलों की फीस प्रतिपूर्ति मामले में 19.5 करोड़ का घोटाला हुआ है।

मामले में शिकायत के आधार पर आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने नोटिस जारी किया गया है।इसमें ईओडब्ल्यू शिकायत क्रमांक 02/18 पंजीबद्ध कर मामले की जांच कर रही है। ईओडब्ल्यू में मामला चलने व एपीसी पद पर तय समय से कार्यकाल ज्यादा होने के कारण कलेक्टर भोपाल अविनाश लवानिया ने करीब एक महीने ड़ा सीमा गुप्ता को एपीसी पद से हटाकर उनके मूल विभाग में भेज दिया था। मूल विभाग में वापिस जाने के करीब एक सप्ताह बाद ही राज्य शिक्षा केंद्र ने डॉक्टर गुप्ता को प्रतिनियुक्ति पर लेते हुए सीमा गुप्ता की पदस्थापना भोपाल डीपीसी के पद पर कर दी।नियमानुसार प्रतिनियुक्ति पर लेते समय कोई जांच लंबित नहीं होनी चाहिए।लेकिन राज्य शिक्षा केंद्र ने प्रतिनियुक्ति पर पदस्थापना करते समय ईओडब्ल्यू की जांच को नजरअंदाज कर दिया।साथ ही 2 साल के कूलिंग पीरियड की बाध्यता को भी समाप्त कर दिया

-ईओडब्ल्यू ने नोटिस जारी कर यह मांगी जानकारी - ईओडब्ल्यू ने फीस प्रतिपूर्ति घोटाले के मामले में भोपाल कलेक्टर को प्रति देते हुए तीन दिन पहले तत्कालीन डीपीसी समर सिंह राठौर व तत्कालीन एपीसी डा. सीमा गुप्ता को दो अलग- अलग नोटिस जारी कर जानकारी मांगी है।एक नोटिस में तीन बिंदुओ व दूसरे में चार बिंदुओं पर जानकारी मांगी है। इसमें प्रमुख रूप से चल-अचल संपत्ति की जानकारी, वार्षिक आय,नियुक्ति दिनांक से वर्तमान तक, पारिवारिक व्यवसाय व सर्विस के संबंध में जानकारी है।

-इनके अनुसार-

घोषणा पत्र में जानकारी मांगी गई थी कि आपके खिलाफ कोई प्रकरण दर्ज है, उसमें मैंने “नहीं”लिखा है। मेरे खिलाफ शिकायत की गई है, लेकिन अब तक आरोप सिद्ध नहीं हुआ है।शिकायत तो कोई भी किसी की भी कर सकता है।विभाग ने मुझे जो दायित्व सौंपा है।उसे में निभाने की कोशिश कर रही हूं।

*डा. सीमा गुप्ता, डीपीसी भोपाल*


-भोपाल डीपीसी मामले में जो तथ्य विभाग को दिए है, उसके आधार पर पदस्थापना की गई है।तथ्यों में कोई जानकारी गलत होगी, तो कार्रवाई की जाएगी। 

*इंदर सिंह परमार, राज्य मंत्री स्कूल शिक्षा*

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