फसल के पहले गेहूं का स्टॉक समाप्ति की ओर

 


इंदौर।चालू रबी सीजन में गेहूं की बोवनी अधिक हुई है। मौसम ने साथ दिया तब उत्पादन 1120 लाख टन हो सकता है।किंतु नई फसल आने तक केरीओव्हर स्टॉक नहीं होने से मंडियों में आया हुआ माल कुछ दिनों तक अधिक भावों पर बिकता रहेगा।गेंहु के वर्तमान भाव से एमएसपी काफी नीचे है। अतः सरकार को कितनी मात्रा में गेहूं मिलेगा यह कहना कठिन है।किसी भी तरीके से खाद्य निगम ने गेहूं तुलवा भी लिया तब भी खुले बाजार में भाव तेज ही रहेंगे। देश में गेहूं की कमी हुई है।उसकी आपूर्ति आयात से की जाना चाहिए।रूस से आयात आसानी से हो सकता है।इस मुद्दे पर सरकार को एक बार विचार करना चाहिए वरना गेहूं के भाव हमेशा के लिए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाएंगे और महंगाई बढ़ने के साथ देश की जनता परेशान होगी।रबी सीजन में गेहूं का उत्पादन कम से कम 1120 लाख टन होने का अनुमान है।हालांकि मार्च में तापमान उत्पादकता का निर्धारण करेगा क्योंकि पिछले वर्ष तापमान में असामान्य उछाल से उत्पादन में बड़ी गिरावट आइ थी।20 जनवरी तक बोवनी 3.41 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।यह बोवनी का एक नया रिकॉर्ड है ।यह सामान्य से 12 प्रतिशत अधिक है और हाल ही के वर्षों में सर्वाधिक है। सामान्य क्षेत्र पिछले 5 वर्षों का औसत क्षेत्र है, लेकिन 2022 की तुलना में गेहूं का रकबा केवल 0.38 प्रतिशत अधिक है। जानकार क्षेत्रों के अनुसार रबी सीजन में गेहूं की बोवनी लगभग समाप्त हो गई है। 

अधिक वृद्धि होने से आसार नहीं के समान हैं।गुजरात में सबसे पहले बोवनी की जाती है।यह फसल फरवरी अंत में आना शुरू हो जाएगी।उसके बाद मध्यप्रदेश की फसल आंशिक रूप से फरवरी में एवं मार्च मध्य तक अच्छी मात्रा में आना शुरू हो जावेगी।यह कहना कठिन है कि देश में गेहूं की कितनी कमी है अथवा नहीं है। इस समय प्रतिदिन हजारों ट्रक उत्तरप्रदेश एवं बिहार जा रहे हैं।अतः इन राज्यों में गेहूं की बड़ी मात्रा में कमी है।इतनी बड़ी मांग इन दोनों राज्यों की पिछले कुछ दशक में तो नहीं देखी गई।यह स्थिति सरकार को नजर क्यों नहीं आ रही है। देशभर में मिल क्वालिटी गेहूं 3050 से 3200 रुपए बिकने लगा है।यदि सरकारी बिक्री शीघ्र नहीं निकली तब भाव कहां जाकर स्थिर होंगे, यह कल्पना करना आसान नहीं है। कुछ व्यापारियों का मत है कि 2023-24 में एमएसपी 2125 रुपए क्विंटल है।यदि नई फसल आने के बाद भी भाव नहीं घटते हैं, तब खाद्य निगम को गोदाम भरना कठिन हो जाएगा। हालांकि तेजी रोकने के लिए सरकार के पास अनेक विकल्प है।परंतु वह उसका कितना उपयोग करेगी यह कहना अभी मुश्किल भरा है।


-कड़ाके की ठंड से आलू की फसल को नुकसान-

पिछले दिनों उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ी है और मौसम विभाग का अनुमान है कि फरवरी माह में कमोबेश ऐसा मौसम बना रहेगा, जिसका सीधा प्रभाव आलू, सरसों एवं हरी सब्जियों पर पड़ सकता है।मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र,राजस्थान में चना, मसूर एवं गेहूं की फसल प्रभावित हो सकती है। जानकारों का अनुमान है कि अगले दिनों में कड़ाके की ठंड पड़ती है एवं पाला पड़ता है, तब आलू की फसल विशेष रूप से प्रभावित हो सकती है।देश के कुछ राज्यों में आलू की फसल को झुलसा रोग लगाने की चर्चा है। इसी तरह सरसों की फसल को लाही कीट का हमला हो सकता है।इससे सरसों की फसल को नुकसानी की आशंका बढ़ गई है।इसके अलावा हरी सब्जियों में गलवा रोग लग गया है। आलू की फसल लेने वाले किसानों को अधिक मात्रा में जागरूक रहने की आवश्यकता है।इस वर्ष किसानों को फसल बचाने का भार अधिक आ गया है।

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