मूंग की देशव्यापी कमी से भाव एमएसपी से ऊपर

 


“मक्का में मांग कमजोर”


इंदौर | ऐसा आभास होता है कि सरकारी सिस्टम का दलहन की तेजी से ध्यान हट गया है।यह मान लिया जावे कि महंगाई के सामने सरकार व अधिकारी भी हथियार डालते हुए दिख रहे हैं।अभी तक सरकार ने तुअर,उड़द की तेजी को रोकने के प्रयास कर  वर्ष 2024 तक आयात ओजीएल में कर दिया है।वर्तमान में देश में अच्छी क्वालिटी की मूंग का अभाव बन गया है।मूंग की एमएसपी  अन्य दलहनो में सर्वाधिक है।उसके बाद भी मूंग एमएसपी से ऊपर बिकने लगा है।


खरीफ में उड़द-मूंग की फसल लगातार फेल हो रही है।रबी में मूंग की बोवनी गत वर्ष से अधिक हुई है। गत वर्ष 3.23 लाख हेक्टेयर में बोवनी हुई थी।इस वर्ष 4.46 लाख हेक्टेयर में हुई है।किंतु इस फसल के आने में देर है ।उद्योगों को प्रतिदिन मूंग चाहिए।मूंग का आयात रोक रखा है।नई फसल आने के पहले खोल देना चाहिए था।अब मूंग दाल एवं मोगर 100 रुपए सीमा को पार करने में देर नहीं करेगी।भाव बढ़ने के बाद इसकी मांग ठंडी पड़ जावेगी।अधिक ऊंचे भाव पर मूंग-मसूर दाल की खपत घट जाया करती है।डॉलर चने की आवक 400 बोरी की रही।नीलामी में भाव बढ़ाकर खरीदी की गई। डॉलर की आवक लगभग सभी मंडियों में एक बार हो चुकी है।मौसम अनुकूल रहने पर अगले माह से आवक बढ़ सकती है।डॉलर चने के भावों में आई मंदी ने छोटे हो या बड़े सभी स्टॉकिस्टों को हिलाकर रख दिया है।चाहे नीलामी भी ऊंचे भावों पर खरीदी कर बाजार में पुनः तेजी का वातावरण बनाने का प्रयास मात्र माना जा रहा है। कुछ जानकारों का यही मत है कि डॉलर में तेजी के संयोग नहीं के समान है।


-मुंबई बंदरगाह पर

दलहनों के भाव-


लेमन 6975 पुरानी 6875

अरुषा 5950 से 6000 मोजाम्बिक सफेद 5850

5800 सूडान 7250 से

चना सूडान 6,000 उड़द

एफएक्यू 6475 रुपए।

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