राईस मिलर्स बेंच रहे धान, कोई नहीं दे रहा ध्यान!


पिपरिया-ज़िला प्रशासन लाख कोशिश कर ले की समर्थन मूल्य पर धान ख़रीदी योजना में पुरानी धान न बेंची जाए परंतु ऐसा नहीं हो पा रहा है।धान ख़रीदी योजना में अब सरकारी चांवल दरने वाले मिलर्स ही सेंध लगा रहे है।सरकार ने इन मिलर्स को जो धान दी थी वह रात के अंधेरे में बिचौलियों को बेंची जा रही है।यही धान समर्थन मूल्य ख़रीदी योजना में वापिस तुलने के लिए ख़रीदी केंद्रो पर पहुँच रही है।इससे सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लग रहा है।दूसरी ओर नर्मदापुरम कलेक्टर नीरज सिंह लगातार प्रयास कर रहे है की पुरानी धान ख़रीदी केंद्रो पर न पहुँचे इसके लिए उन्होंने आदेश जारी किया था की वेयर हाउस से पुरानी धान निकासी के लिए स्थानीय SDM की अनुमति अनिवार्य होगी।परंतु धान ख़रीदी में सेंध लगाने वालों ने राईस मिलर्स के साथ मिल कर यह नया तरीक़ा निकाल लिया है।ऐसा नहीं है की इस खेल की जानकारी किसी को नहीं है।सभी अधिकारियों को इस बात की जानकारी है परंतु कोई भी विभाग या अधिकारी राईस मिलर्स का स्टाक सत्यापन करने की जेहमत नहीं उठा रहा है।वही यह राईस मिलर्स उत्तर प्रदेश से सस्ता चांवल ख़रीद कर नागरिक आपूर्ति निगम में सीधे जमा कर रहे है।

-ख़रीदी केंद्र से सीधे मिलर्स को मिल रही धान-

ज़िला विपणन अधिकारी देवेंद्र यादव का कहना है की ख़रीदी केंद्र से सीधे ही मिलर्स को धान आवंटित की जा रही है।क्योंकि शासन की नई निती में परिवहन खर्च बचे और मिलिंग जल्द से जल्द हो सके।इस धान को आवंटित करने में खाद्य विभाग से ले कर विपणन संघ सहित कई विभागों की टीम मिल में पहुँच कर भौतिक सत्यापन करती है दिए गए माल का विडियो भी बनाती है।ज़िला विपणन अधिकारी के अनुसार सरकार का लक्ष्य था की धान ख़रीदी का 30 प्रतिशत सीधा मिलर्स को दिया जाए परंतु ऐसा नहीं हो पा रहा है।अभी बहुत कम मात्रा में ही मिलर्स को धान आवंटित हुई है।

-पहले से रखे है धान का स्टाक-

सूत्रों की माने तो सरकारी  धान दराई करने वाले मिलर्स पिछले कई दिनो से धान का स्टाक कर रहे थे।यह समर्थन मूल्य पर धान ख़रीदी योजना शुरू होने की राह देख रहे थे।वही अब जब मिलर्स को सीधे ख़रीदी केंद्रो से धान मिलने लगी तो वह उसमें पुरानी धान मिला कर फिर से बिचौलियों को बेचने लगे है।

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