भाजपा की इस हार का कौन है ज़िम्मेदार!

 


नर्मदापुरमः-ज़िले भर में पंचायत चुनाव या फिर नगरीय निकाय चुनाव हो भारतीय जनता पार्टी का विजय रथ एक तरफ़ा दौड़ रहा था।भाजपा नगरीय क्षेत्र के वार्डों से लेकर ज़िले की सभी जनपद पंचायतो तक में अपने अध्यक्ष-उपाध्यक्ष बना रही थी।पिछले कई दिनो से ज़िले भर से आ रही इस जीत की बधाई और श्रेय लेते हुए भाजपा नेता थक नहीं रहे थे।परंतु इस जीत रूपी रथ के पहियों पर ज़िला पंचायत अध्यक्ष चुनाव ने जैसे रोक लगा दी।ज़िला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में भाजपा को उस कांग्रेस से मुँह की खानी पड़ी।जिसके पास अधिकृत रूप से 15 ज़िला सदस्यों में से मात्र 3 सदस्य ही थे।भाजपा के पास 10 सदस्यों का जंबो बहुमत था।दो निर्दलीय सदस्य थे।परंतु उसके बाद भी पार्टी की अधिकृत प्रत्याशी योजनगंधा सिंह चुनाव हार गई।सूत्रों की माने तो कुछ दिन पहले हुई रायशुमारी में भाजपा के ज़िला सदस्यों ने जूदेव के नाम पर बहुत कम सहमति जताते हुए सीमा कासदे एवं मधु धुर्वे के नाम पर विचार करने को कहा था परंतु भाजपा कार्यकर्ताओ को बंधुआ मज़दूर समझने वाले संगठन के ज़िला प्रमुख ने इस रायशुमारी को नज़र अन्दाज़ कर योजनगंधा को ही भाजपा का अधिकृत प्रत्याशी बना दिया।नतीजा यह रहा की कांग्रेस की राधा बाई को इस चुनाव में 8 वोट मिले और योजनगंधा को 7 वोट ही मिल सके।जबकि यदि भाजपा संगठन अच्छे से तैयारी करता तो उसके पास 10 अधिकृत सदस्य थे तो वही 2 निर्दलीय भी भाजपा के ख़ेमे में आने को तैयार थे।इस फ़ार्मूले से तो योजनगंधा को निर्विरोध अध्यक्ष बनाया जा सकता था।परंतु अति उत्साह में रहने वाले भाजपा ज़िला अध्यक्ष माधव अग्रवाल ज़िले के विधायकों की राजनीति को समझ नहीं सके और उनके कार्यकाल में एक काला धब्बा ज़िला पंचायत अध्यक्ष चुनाव का लग गया।वही ज़िला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में हार के बाद दिन भर सोशल मीडिया पर भाजपा ज़िला अध्यक्ष के निर्णय पर पार्टी के ही कार्यकर्ता सवालिया निशान लगाते दिखे।

“निर्विरोध उपाध्यक्ष बनी बैंकर”

ज़िला चुनाव में चल रहे घटनाक्रम पर नज़र डाली जाए तो अध्यक्ष पद पर तो चुनाव हुए परंतु उपाध्यक्ष चुनाव में भाजपा की श्रीमती बुधकुँअर बाई मनोहर बैंकर निर्विरोध बन गई।भाजपा कार्यकर्ता यह सवाल उठा रहे है की उपाध्यक्ष चुनाव में जब निर्विरोध चयन हो सकता है तो फिर अध्यक्ष पद के लिए संगठन ने ऐसा कोई भी प्रयास क्यों नहीं किया।जबकि सबसे ज़्यादा सदस्य तो भाजपा के ही चुन कर आए थे।

-धुर्वे के आंसूओ से निकली आह किसे लगेगी-

सूत्र बताते है की योजनगंधा के अधिकृत होते ही ज़िला पंचायत सदस्य एवं अध्यक्ष की दावेदारी करने वाली मधु धुर्वे बहुत रोई।धुर्वे ने वंहा मौजूद भाजपा नेताओ से कहा कि मैं चूँकि गरीब हूँ इसके कारण मेरा साथ कोई नहीं दे रहा है।मैं पिछले 20 सालो से पार्टी की सेवा कर रहीं हूँ परंतु मेरे को नहीं बनाया जा रहा है।इस पूरे घटनाक्रम को देखने वालों के अनुसार ज़िला पंचायत में भाजपा की हार धुर्वे के आँसूओ से निकली आह का ही नतीजा रही।सूत्र बताते है की धुर्वे ने इस तरह से निर्णय लेने वाले को भी जम कर कोसते हुए कहा की पैसे वालों का पैसा कोई काम नहीं आएगा।मेरा भगवान सबका हिसाब करेगा।अब देखना यह है की धुर्वे की मन से निकली आह और कितनो को बर्बाद करेगी।

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