भाजपा में शुरू हुआ टिकिट का विरोध,3 पूर्व पार्षदों सहित कई कार्यकर्ताओं ने दिया इस्तीफ़ा!

 


पिपरियाः-भारतीय जनता पार्टी ने शहर के 21 वार्डों में अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए है।इस लिस्ट में जंहा भाजपा ज़िला अध्यक्ष माधव अग्रवाल ने स्थानीय नेता पत्नियो को तवज्जो दी है तो वही अनारक्षित वार्ड से भी पुरुष नेताओ के बजाय महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है।यह सब कुछ नगर पालिका अध्यक्ष का पद महिला के लिए आरक्षित होने के कारण किया जा रहा है।परंतु अब भारतीय जनता पार्टी में ऐसे मनमर्ज़ी के निर्णयों का विरोध होना शुरू हो गया है।इसी विरोध के चलते राजीव गांधी वार्ड के कई भाजपा नेताओ एवं कार्यकर्ताओं ने जिला अध्यक्ष माधव अग्रवाल को पत्र लिख कर सोशल मीडिया पर अपना इस्तीफ़ा दे दिया है।इस पत्र में नेताओ ने लिखा है की संगठन ने वार्ड के कार्यकर्ताओं सहित नागरिकों से कोई भी सलाह-मशविरा नहीं किया।जबकि पूर्व पार्षद प्रमिला मंडलोई नगर में सबसे अधिक मतों से जीती थी।परंतु उनसे और उनके समर्थकों से भी उम्मीदवार को लेकर कुछ नहीं पूछा गया।पत्र में कहा गया है की पार्टी नेताओ ने गुमराह करते हुए अनारक्षित वार्ड से भी महिला उम्मीदवार को उतारा है।जिनको टिकिट दी गई है उनका खुद का वार्ड महिला के लिए आरक्षित था ऐसे में उन्हें वही से टिकिट दे कर राजीव गांधी वार्ड से पुरुष नेता को टिकिट देना था।बार बार हम सबके कहने पर पार्टी नेता तो यह कहते रहे की पुरुष को ही टिकिट देंगे परंतु अंतिम में बिना किसी से पूछे दूसरी वार्ड की महिला नेता को यंहा से उम्मीदवार बना दिया गया है।जबकि उनका गृह वार्ड महिला के लिए आरक्षित है।गौरतलब है कि राजीव गांधी वार्ड से भाजपा ने पूर्व मंडी अध्यक्ष श्रीमती अरुणा जोशी को टिकिट दिया है।इस्तीफ़ा देने वालों में भाजपा नगर उपाध्यक्ष प्रदीप मंडलोई,बूथ अध्यक्ष संदीप उदेनिया,BLA अखिलेश श्रीवास्तव,महामंत्री मनोज सोनी,पूर्व पार्षद प्रतिमा मंडलोई,पूर्व पार्षद सावित्री मंडलोई,पूर्व पार्षद महेश मालवीय,बूथ अध्यक्ष धर्मेंद्र प्रजापति,सहित आधा दर्जन कार्यकर्ता शामिल है।

-:ज़िला अध्यक्ष को बता रहे त्याग-तपस्या की मूर्तिः-

पिपरिया में भाजपा की टिकिट वितरण के बाद भाजपा ज़िला अध्यक्ष माधव अग्रवाल को उनके समर्थक सोशल मीडिया पर त्याग-तपस्या की प्रतिमूर्ति बता कर पोस्ट कर रहे है।इन समर्थकों का कहना है की भैया चाहते तो अन्य नेताओ की तरह अपने परिजनों के लिए भी पार्षद का टिकिट ले सकते थे।परंतु उन्होंने संगठन को सर्वोपरि मान कर परिजन तो छोड़ीये अपने किसी समर्थक तक को टिकिट देने में अपना वीटो नहीं लगाया।ज़िला अध्यक्ष के पक्ष में डल रही (इमपेक्ट फ़ीचर)वाली पोस्ट पर कार्यकर्ताओ का कहना है की माना की ज़िला अध्यक्ष ने स्वयं के परिवार के लिए टिकिट नहीं ली परंतु उन्होंने सभी नेता पत्नियो को टिकिट देने में अपनी न केवल रुचि दिखाई वरन पार्टी के परिवारवाद के सिद्धांतों पर पानी फेर दिया।ज़िला अध्यक्ष चाहते तो वह पार्षद जैसा टिकिट तो ज़मीनी कार्यकर्ता को दे सकते थे।जिस पर कार्यकर्ता का हक़ हुआ करता है।भाजपा के एक कार्यकर्ता ने लिखा की पार्टी ने सांसद-विधायक जैसे पदों के दावेदारों को पार्षद का टिकिट दे कर हम कार्यकर्ताओ को बता दिया की हम दरी-फट्टा उठाने के काम के ही है।भाजपा ने कई अनारक्षित वार्डों से भी महिला उम्मीदवारो को उतार कर ज़मीनी पुरुष कार्यकर्ताओं का हक मारा है।इस पर भी ज़िला अध्यक्ष माधव अग्रवाल की मौन स्वीकृति समझ आइ है।भाजपा कार्यकर्ता अब दबी जंबा से यह कहते हुए दिखते है की पार्टी ज़िला अध्यक्ष ने नेता पत्नियो को दी जाने वाली टिकिट सूची में रबर स्टांप जैसा काम किया है।

No comments

Powered by Blogger.