कांग्रेस प्रत्याशी खुद के भरोसे,भाजपा संगठन व मुख्यमंत्री के चेहरा लगा कर लड़ रही चुनाव!


पिपरियाः-नगरीय निकाय चुनाव में अब प्रचार का दौर शुरू हो गया है।कांग्रेस जंहा ज़मीन पर प्रचार करने से ज़्यादा सोशल मीडिया पर सक्रीय दिखाई दे रही है तो वही भाजपा घर-घर जा कर चुनाव प्रचार पर ज़ोर दे रही है।तो वही कांग्रेस प्रत्याशी खुद के चेहरे पर चुनाव मैदान में अकेले दिखाई दे रहे है।कांग्रेस के वार्ड प्रत्याशियों का जो प्रचार पोस्टर दिखाया जा रहा है उसमें सिर्फ़ उनकी फ़ोटो और पार्टी का चुनाव चिन्ह लगाया गया है।कांग्रेस उम्मीदवार संगठन के नेताओ से ले कर वार्ड के वरिष्ठ नेताओ की फ़ोटो लगाने तक से परहेज़ कर रहे है।जबकि अन्य शहरों में तो कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ से लेकर ज़िला,ब्लाक,नगर प्रमुख तक की फ़ोटो लगा कर वोट माँगी जा रही है।पिपरिया कांग्रेस की इस पोस्टर राजनीति पर भाजपा नेता चुटकी लेते हुए कहते है की कांग्रेस प्रत्याशी को यह डर बना रहता है की उनके नेताओ की फ़ोटो लगा कर वोट माँगे तो कही जनता नाराज़ न हो जाए।भाजपा नेताओ ने तो यंहा तक कहा की ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष दिलीप पालीवाल के समर्थक अपने पोस्टर तक में कांग्रेस ज़िला अध्यक्ष या पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की फ़ोटो नहीं लगा रहे है तो बेचारे दूसरे प्रत्याशी क्या करें।दूसरी ओर भाजपा काफ़ी मज़बूत संगठन के साथ शहर के 21 वार्ड में अपने प्रत्याशियों को चुनाव लड़वा रही है।भाजपा में नगरीय निकाय चुनाव गाइड लाइन के अनुसार स्थानीय संगठन से लेकर प्रदेश व केंद्रीय संगठनकर्ताओं व जनप्रतिनिधियो की फ़ोटो पोस्टर व पर्चों में लगाई जा रही है।इसमें प्रमुख रूप से मुख्यमंत्री एवं स्थानीय सांसद-विधायक को तवज्जो  मिल रही है।परंतु कांग्रेस के नक़ली मत पत्र तक में पार्टी नेताओ के फ़ोटो नहीं छापे जा रहे है।जिससे कांग्रेस की स्थिति को समझा जा सकता है।

-कार्यालय खोलने में आगे भाजपाई-

शहर में जंहा प्रचार-प्रसार में कांग्रेस काफ़ी पीछे दिखाई दे रही है।वही वार्ड में चुनाव कार्यालय खोलने के मामले में भी कांग्रेस पार्टी सत्ताधारी दल से बहुत पीछड़ गई है।भाजपा ने जंहा एक दर्जन वार्ड में अपने चुनाव कार्यालय का शुभारम्भ काफ़ी धूमधाम से कर दिया है तो वही कांग्रेस पार्टी अभी तक किसी भी वार्ड में अपना चुनाव कार्यालय नहीं खोल पाई है।कांग्रेस के ज़मीनी कार्यकर्ताओं की माने तो पार्टी में इतनी गुटबाज़ी है की हमारे नेता हर चुनाव की तरह इस चुनाव में भी भाजपा से नहीं आपस में ही लड़ने में विश्वास रखते हुए दिख रहे है।जिसका परिणाम हर बार की तरह वही होगा जो सत्तापक्ष चाहता है।

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