रैकवार बाबू हत्या या आत्म हत्याः-बेटे का आरोप GRP ने हमें वापिस किया सुसाइड नोट,GRP का बयान लाश के पास नहीं मिला कोई काग़ज़, क्या प्रभावशाली लोगों को बचा रही है GRP!



पिपरियाः-शहर के PG कालेज में पदस्थ रहे राजेश रैकवार ने प्रिंसिपल राजीव माहेश्वरी एवं चोकड़ी की प्रताड़ना से तंग आ कर ट्रेन के सामने कूद कर आत्म हत्या कर ली थी।रैकवार के परिजन इसे आत्म हत्या नहीं हत्या बता रहे है जो प्राचार्य के कारण हुई है।तो वही दूसरी ओर पिपरिया GRP प्रभावशाली प्रिंसिपल राजीव माहेश्वरी एवं इनके साथियों के प्रभाव में इस कदर आ चुकी है की वह मामले की प्रारम्भिक जाँच तक ठीक ढंग से नहीं पा रही है।सूत्रों की माने तो GRP मामले को खुर्द-बुर्द करने में जुटी है।

रैकवार बाबू के बेटे निशांत ने बताया को उनके पिता हर समय 15 पेज का सुसाइड नोट अपनी जेब में रख कर चलते थे।पिता की मोत के बाद जब उनका पोस्ट मार्टम पिपरिया अस्पताल में किया जा रहा था तब उनको पिपरिया GRP के आरक्षक हरीराम चौधरी ने मोबाइल एवं अन्य सामान के साथ 15 पेज का यह सुसाइड नोट वापिस किया है।वही GRP आरक्षक हरीराम चौधरी जो की घटना की प्रारंभिक जाँच कर रहे है।उनका कहना है की लाश के पास जो चश्मा, मोबाइल,सहित अन्य सामान मिला था वह परिजनों को वापिस कर दिया गया।परंतु उसमें किसी प्रकार का कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।अब मामला काफ़ी पेचीदा हो चला है।इसमें GRP के आला अधिकारी मामले का पर्दाफाश करने के बजाए मौन धारण किए हुए है।रैकवार बाबू को ख़त्म हुए 20 दिन से भी ज़्यादा का समय हो चुका है।परंतु पिपरिया GRP की जाँच अभी भी सिर्फ़ परिजनो के बयानो तक ही सीमित है जबकि परिजनों ने रैकवार बाबू की मोत का ज़िम्मेदार कालेज प्रिंसिपल राजीव माहेश्वरी एवं उनकी गैंग को GRP को दिए बयानो में ठहराया है।सूत्रों की माने तो प्रभावशाली राजीव माहेश्वरी एवं उनके साथी अपनी राजनितिक पहुँच का इस्तेमाल इस पूरे मामले को रफ़ा-दफ़ा करने में कर रहे है।यही कारण है की अभी तक प्रिंसिपल एवं उनके साथियों को बयान के लिए GRP नहीं बुला सकी है।

-:GRP की कार्यवाही संदिग्धः-

परिजनों का आरोप की पिता की जेब से मिले सुसाइड नोट को GRP ने वापिस किया है।वही GRP का कहना है की कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।GRP पिपरिया की कार्यवाही को संदिग्ध बना रहा है।शहर के नागरिकों की माँग है की रैकवार बाबू के परिजन GRP की कार्यवाही पर सवालिया निशान लगा चुके है।ऐसे में मामले की जाँच CID क्राइम ब्रांच से कराई जाए जिससे पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके।

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