पिपरिया पुलिस को पसंद नहीं की कोई उनसे सवाल पूछे!

पिपरियाः-शहर की क़ानून व्यवस्था इस समय भगवान भरोसे चल रही है।वही दूसरी ओर इस बिगड़ती क़ानून व्यवस्था व पुलिस जाँच पर कोई भी सवाल उठाए यह पिपरिया पुलिस को पसंद नहीं है।फिर चाहे पुलिस हत्या जैसे मामले में भी अपनी मनमर्ज़ी से जाँच क्यों नहीं कर रही हो।पिपरिया पुलिस को पसंद नहीं की उससे कोई सवाल पूछे इसके कारण ही बड़ी से बड़ी वारदात के खुलासे पर भी केवल अपनी कहानी वाला प्रेस नोट जारी किया जा रहा है।फिर चाहे अपराध के अनुसंधान में दर्जनो सवाल उठ रहे हो।पिपरिया थाने के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है जब पत्रकारों को पत्रकार वार्ता में न बुला कर सोशल मीडिया पर प्रेस नोट जारी कर अपनी कहानी छापने


का दबाव भी पुलिस अधिकारी बना रहे है।पिपरिया पुलिस को मालूम है की यदि पत्रकारवार्ता बुलाई गई तो उन दर्जनो सवालों का जवाब कंहा से लाएँगे।जिससे गंभीर अपराध के अनुसंधान पर प्रश्न चिन्ह लग रहे हो।हम बात कर रहे है पिपरिया के मंगलवारा थाने में हुए अमित राय हत्याकांड की जिसमें पुलिस की कहानी अनुसार ही 17 मई को 8 आरोपी नाम जद हुए है।इसके 15 दिन पहले इसी मामले में मात्र दो आरोपियों को नाम जद कर इस मामले को रफ़ा दफ़ा कर दिया गया था।इस हत्या कांड पर आम जनता का कहना है की आज से एक दशक पहले की गुंडागर्दी का माहौल यदि पिपरिया में आज होता तो पुलिस की इस लचर कार्यप्रणाली के चलते पिपरिया में क़ब की बड़ी वारदात हो चुकी होती।परंतु इलाक़े के आम नागरिकों पर प्रभु की कृपा है की कोई भी बड़ी वारदात या गैंगवार अब नहीं हो रही है।परंतु इसके बाद भी पुलिस हत्या जैसे संगीन अपराध को काफ़ी हल्के में ले रही है।अमित राय हत्या कांड में पुलिस ने अमित की मौत के 3 दिन बाद मात्र दो आरोपी अज्जु पुर्विया एवं संजय शर्मा को हत्या का आरोपी बना कर जेल भेज दिया था।हत्याकांड के 15 दिन बाद अमित के परिजनों ने मोका ए वारदत का वीडियो वायरल किया तब कही जा कर पिपरिया पुलिस ने 6 आरोपियों को और पकड़ कर प्रेस नोट जारी कर दिया।

-:इन सवालों के जवाब नहीं है प्रेस नोट में-:

हत्या जैसे संगीन मामले में भी किस तरह से पिपरिया की मंगलवारा पुलिस जाँच करती है इसकी बानगी अमित राय हत्याकांड में देखने को मिली।इस पूरे मामले में सूत्र बताते है की पुलिस ने कई दिन पहले घटना स्थल के नज़दीक एक दुकान से CC TV फ़ुटेज ले लिए थे।परंतु उनके आधार पर आरोपियों पर कार्यवाही क्यों नहीं की गई।मृतक के साथ घटना के समय जो युवक था उसके बयान सही से क्यों नहीं लिए गए जिसमें वह बता सकता की वारदात  में कितने लोग शामिल थे।वारदात के बाद मृतक के बयान भी नहीं लिए गए है।जिससे पता चल सके की और कितने आरोपी थे।पुलिस की कहानी अनुसार वारदात के ज़िम्मेदार दो आरोपियों से थाने में ऐसी कैसी पूछताछ की गई की उन्होंने भी नहीं क़बूला की हमारे साथ कौन-कौन इस वारदात में शामिल था।पुलिस द्वारा बताए गए आरोपियों की काल डीटेल क्यों नहीं निकलवाई गई जिससे यह पता चल सके की इनके साथ उस समय क़ौन कौन सम्पर्क में था।मृतक के छोटे भाई अंकित राय से नर्मदापुरम में पुलिस ने बयान लिए तब उसे बताया गया था की वारदात में 6-7 लोग शामिल है।परंतु इसके बाद भी मामला 2 आरोपियों पर किस पुलिस अधिकारी के निर्देश पर समेट दिया गया।पीड़ित छोटे भाई के अनुसार जब पुलिस CC TV फ़ुटेज ले रही थी तो परिजन वंहा गए थे।परिजनों के अनुसार उनको पुलिसकर्मीयों ने फ़ुटेज नहीं देखने दिए गए।परिजनों को फ़ुटेज देखने से रोकने वाले पुलिसकर्मियों पर क्या कार्यवाही की गई।दिन के समय आहते में हुए झगड़े में पुलिस ने अमित की ओर से FIR तो दर्ज की परंतु आरोपियों को पकड़ने का काम नहीं किया गया।किस पुलिस अधिकारी के कहने पर इन आरोपियों को पकड़ा नहीं गया।हत्याकांड से जुड़े गंभीर सवाल-जवाब प्रेस नोट में शामिल नहीं किए गए।पिपरिया पुलिस भली भाँति जानती है की अमित राय हत्या कांड में ऐसे कई ज्वलंत सवाल मीडिया ज़रूर पूछेगी इसके चलते ही प्रेस वार्ता के बजाय प्रेस नोट छापने के लिए दिया गया है।

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