अब किसानो से बिना लिखा-पढ़ी राईस मिलर्स कर रहे कांट्रेक्ट फ़ार्मिंग!


पिपरिया:-इलाक़े के धान किसानो को किस तरह फसल का ज़्यादा दाम देने का लालच दिखा कर लूटा जाता है।इसकी बानगी एक बार फिर देखने को मिल रही है।पिछले वर्ष बड़ी-बड़ी कंपनियो ने कांट्रेक्ट फ़ार्मिंग के नाम पर किसानो को फसल बोने से लेकर काटने तक बेजा ठगा परंतु जब फसल ख़रीदने का समय आया तो धान का सेम्पल रिजेक्ट कर कई किसानो की धान नहीं ख़रीदी गई।परंतु अब एक बार फिर इस साल बड़ी कम्पनियों की अपेक्षा स्थानीय राईस मिल वाले किसानो से बिना किसी वैध लिखा-पढ़ी के ही कांट्रेक्ट फ़ार्मिंग के फ़ार्मूले को अपना रहे है।दरअसल पिछले वर्ष बड़ी कम्पनियों के धान ख़रीदी में उतरने के कारण स्थानीय मिल मालिको को भी बाज़ार में प्रतिस्पर्धा के तहत ऊँचे दामों में धान ख़रीदनी पड़ी थी।जिससे इनको लाखों रुपए का नुक़सान हुआ था।इसी के चलते इस बार स्थानीय राईस मिल प्रबंधन ने नायब तरीक़ा निकाला है।वह किसानो के साथ मुँह ज़ुबानी कांट्रेक्ट कर रहे है।जिसमें उनकी धान की फसल को घर से ही ख़रीदने एवं भुगतान-बोनस देने का वादा किया जा रहा है।

कीटनाशक दुकानदारों ने ली एजेंसी

इलाक़े में कई कीटनाशक दुकानदार भी इन राईस मिलर्स के साथ हो गए है।इन कीटनाशक विक्रेताओं ने अलग-अलग मिल मालिको से समझौता कर किसानो को प्रोगराम बता दिया है।वही मिल मालिक भी चाहते है की कोई भी बड़ी धान ख़रीद कम्पनी पिपरिया इलाक़े में न आए जिससे ख़रीदी के समय उनकी मोनोपालि चल सके यदि बाहरी कम्पनियाँ प्रतिस्पर्धा में आती है तो किसानो को फसल का अच्छा भाव मिला करता है।परंतु स्थानीय राईस मिलर्स इसे अपने लिए घाटे का सौदा बताया करते है।

फ़ॉरचून को कर दिया बाहर

पिछले साल तक पिपरिया में फ़ॉरचून जैसी कई कम्पनियाँ कांट्रेक्ट फ़ार्मिंग के तहत किसानो को धान की फसल लगवा कर बोनस के रूप में बाज़ार से ज़्यादा भुगतान किया करती थी।परंतु एक सोचे-समझे षड्यंत्र के तहत न केवल फ़ॉरचून बल्कि ऐसी कई दूसरी कम्पनियों को भी इतना परेशान करवाया गया की वह इस वर्ष पिपरिया से अपना काम काज छोड़ कर चली गई।नतीजतन एक बार फिर अन्नदाता लुटने के लिए मजबूर दिखाई देगा।

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