अब रामपुर सोसायटी से ग़ायब हुआ 39 हज़ार फ़्रेश जूट बारदाना,सब मिल कर बचा रहे प्रबंधक को!


पिपरिया:-इलाक़े की कृषि सेवा सहकारी समिति रामपुर एक बार फिर सुर्ख़ियों में है।रामपुर सोसायटी में नित्य नए घोटाले आम जनता के सामने आ रहे है।पहले बारिश में लाखों रुपए क़ीमत का समर्थन मूल्य पर ख़रीदा गेंहु सड़ाने का पर्दाफ़ाश हुआ तो वही 26 लाख रुपए क़ीमत का खाद घोटाले की परत खुल रही है।अब सोसायटी प्रबंधक राघवेंद्र शर्मा का एक ओर नया कारनामा सबके सामने आ रहा है।रामपुर सोसायटी को पिछले वर्ष 2020-21 में समर्थन मूल्य पर गेंहु ख़रीदी का काम सरकार ने सौंपा था।इसके लिए नागरिक आपूर्ति निगम ने सोसायटी को गेंहु भराव के लिए लाखों कट्टी जूट का बारदाना उपलब्ध करवाया गया था।परंतु इसमें से 39758 कट्टी का आज तक कोई अता पता नहीं चल सका है।इन कट्टियो की क़ीमत 20 लाख से भी ज़्यादा बताई जा रही है।सूत्रों की माने तो प्रति कट्टी 50 रुपए 89 पैसे की क़ीमत है।नागरिक आपूर्ति निगम ने कई बार रामपुर समिति को पत्र लिख कर उक्त बारदाना जमा कराने के लिए कहा परंतु समिति प्रबंधक ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जिसके बाद आपूर्ति निगम ने रामपुर समिति को वर्ष 2020-21 में समर्थन मूल्य की गेंहु ख़रीदी पर मिलने वाली कमीशन की राशि से उक्त बारदाना की 20 लाख रुपए की रक़म को काट लिया है।बड़ा सवाल यह है की आख़िर कैसे 39 हज़ार जूट बारदाना ग़ायब हो गया जिसकी भनक न तो बैंक प्रबंधन को लग सकी और न ही समिति प्रबंधक को लग सकी वही पूरे मामले में यह भी हो सकता है की जानबूझकर बारदाना गोल किया गया हो क्योंकि कमीशन की राशि इतनी बड़ी होती है की उसमें से ऐसे घाटे की भरपाई हो जाती है।


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सब मिल कर बचा रहे समिति प्रबंधक को

रामपुर सेवा सहकारी समिति में करोड़ों रुपए के घोटालों में सभी मिल कर समिति के प्रबंधक राघवेंद्र शर्मा को बचा रहे है।बैंक CEO का कहना रहता है की समिति को केवल ऋण उपलब्ध कराने का काम हमारा होता हैं।बाँकी काम सहकारिता विभाग का होता है।वही सहकारिता विभाग ने तो समिति प्रबंधक राघवेंद्र शर्मा को बारिश में गेंहु ख़राब होने के मामले में पहले निलम्बित किया था।परंतु कुछ ही दिन में उसको बहाल कर दिया गया है।वही सहकारिता सिस्टम को क़रीब जानने वालों के अनुसार बैंक द्वारा हर समिति की मनिटरिंग करने के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया जाता है जो समय-समय पर समिति के काग़जातों की ग़हन जाँच करता है परंतु इसके बाद भी रामपुर समिति प्रबंधक लगातार घोटाला करता रहा और बैंक प्रबंधन अपनी मूक सहमति प्रदान कर इन घोटालों में शामिल रहा है।इसी के चलते आज तक समिति प्रबंधक अपने पद पर काम कर रहा है।

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