रामपुर सोसायटी में 26 लाख का खाद घोटाला, ज़िम्मेदार जानकर भी मौन!


पिपरिया:-इलाक़े की सेवा सहकारी समिति रामपुर बारिश में समर्थन मूल्य पर ख़रीदा गया हज़ारों क्विंटल गेंहु सड़ाने के बाद एक बार फिर 26 लाख के खाद घोटाले को लेकर जनचर्चा में है।इस बार यह घोटाला कुछ अलग तरीक़े का समझ आ रहा है इस ग़बन में ऊपर से लेकर नीचे तक ज़िला सहकारी बैंक प्रबंधन के ज़िम्मेदार सब कुछ मालूम होने के बाद भी किसी भी तरह की कार्यवाही करने के बजाय केवल काग़ज़ी घोड़े दौड़ा कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री करते हुए दिख रहे है।ज़िला सहकारी बैंक शाखा पिपरिया के प्रभारी ने दिनांक 5 जून 2021 को पत्र क्रमांक जावक 2021/22/627 के माध्यम से मुख्य कार्यपालन अधिकारी,ज़िला सहकारी बैंक होशंगाबाद को इस 26 लाख रुपए के खाद ग़बन की सूचना दी गई है।जिसमें रामपुर समिति प्रबंधक राघवेंद्र शर्मा को ज़िम्मेदार बताते हुए वैधानिक कार्यवाही के लिए लिखा गया है।वही दूसरी ओर बैंक के CEO आर.के दुबे का कहना है की ज़िला सहकारी बैंक उक्त सोसायटी को केवल क़र्ज़ देती है।उसकी वसूली का अधिकार उनके पास है।परंतु सोसायटी में क्या गड़बड़ी चल रही है इसके लिए सहकारिता विभाग ज़िम्मेदार है।आप उनसे बात करें।इस समय उनका प्रशासक उनका समिति का मालिक है।जबकि सहकारिता के जानकर इस मामले में नियम कुछ और ही बता रहे है।

न गोदाम में न किसानो के खाते में

रामपुर सोसायटी में किस प्रकार से अनियमितता की जा रही है।इसका खुलासा विभागीय पत्र में ही हो रहा है।सोसायटी ने वर्ष 2020-21 में आए यूरिया-DAP का कोई हिसाब नहीं दिया है।यह खाद न तो सोसायटी के गोदाम में है न ही किसानो के खाते में देना दर्शाया गया है।सोसायटी की 37.09 टन DAP जिसका मूल्य 822950/- एवं 41 टन यूरिया जिसका मूल्य 231225/-हो रहा है।इसका कोई अता-पता नहीं चल रहा है।इसी तरह से सीधे खाद प्रदाय में भी सुपर फास्फेट एवं जैविक खाद समिति प्रबंधक राघवेंद्र शर्मा ने कम्पनियों से ले लिया है।जिसकी कोई अनुमति या जानकारी बैंक को नहीं दी गई है।इस योजना में DCROM कंपनी का 25 टन जिसका मूल्य 370000/-एवं दिव्य ज्योति कम्पनी का 84 टन जिसका मूल्य 970200/-, सुपर फास्फेट 35 टन जिसका मूल्य 204402/-रुपए बताया जा रहा है।

बैंक कैसे रह गई अनजान

ज़िला सहकारी बैंक प्रबंधन का कहना है की सीधा खाद प्रदाय योजना में रामपुर समिति के प्रबंधक राघवेंद्र शर्मा ने कम्पनियों से उपरोक्त खाद ले लिया है।प्रबंधन को तो तब पता चला जब कम्पनी प्रतिनिधि बैंक में राशि माँगने आए।वही ज़िला सहकारी बैंक की कार्यप्रणाली को नज़दीक से समझने वालों की माने तो हर समिति के लिए एक बैंक अधिकारी पर्यवेक्षक के रूप में तैनात रहता है।जो की बैंक शाखा में बैठ कर समिति के काग़ज़ातों एवं गतिविधियों पर नज़र रखता है।परंतु पर्यवेक्षक की तैनाती के बाद भी रामपुर समिति में लगातार घोटाले होना कही न कही बड़े स्तर की मिलीभगत को दर्शा रहा है।तब ही ऊपर से ले कर नीचे तक समिति प्रबंधक राघवेंद्र शर्मा को बचाने का भरसक प्रयास किया जा रहा है।

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