हज़ारों क्विंटल गेंहु सड़ाने वालों के ख़िलाफ़ नहीं हुई कोई कार्यवाही!


पिपरिया:-सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लाख किसानो का भला करने की कोशिश कर लें परंतु अफ़सरशाही CM के प्रयासों पर पलीता लगाने से नहीं चूक रही है।लापरवाह सिस्टम के चलते पिपरिया में समर्थन मूल्य पर गेंहु ख़रीदी में एक सहकारी समिति ने पहले तो हज़ारों क्विंटल गेंहु खुले आसमान के नीचे रख कर बारिश में सड़ा दिया।उसके बाद उसे पशु आहार मान कर नीलामी करने का प्लान तैयार कर लिया है।दरअसल पिपरिया की रामपुर सेवा सहकारी समिति द्वारा इस वर्ष समर्थन मूल्य पर गेंहु ख़रीदी का काम किया गया था।इस दौरान गेंहु का उठाव काफ़ी धीमा करवाया गया।नतीजतन बारिश होने से रामपुर सोसायटी का हज़ारों क्विंटल गेंहु ख़राब हो गया।सोसायटी प्रबंधन की लापरवाही से सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लग गया।वही अब बारिश में सड़े हुए गेंहु को सरकार ने जमा करने से भी मना कर दिया है।बारिश में ख़राब हुआ क़रीब 4 हज़ार क्विंटल से ज़्यादा गेंहु मानव खाने योग्य तक नहीं बचा है।इसी के चलते क़रीब 60 किसानो को गेंहु का 80 लाख रुपए का भुगतान भी नहीं हुआ है।किसान अपना भुगतान पाने के लिए दर दर भटक रहे है।परंतु इनको कोई संतुष्ट जवाब नहीं दे रहा है।

:-प्रबंधक को सस्पेंड कर किया बहाल:-

दूसरी ओर इस पूरी अव्यवस्था के लिए ज़िम्मेदार समिति प्रबंधक राघवेंद्र शर्मा को पहले निलम्बित कर दिया गया था।परंतु अचानक से शर्मा को बहाल कर दिया गया है।मामले में सबसे चोकाने वाली बात यह है की सहकारिता विभाग के डिप्टी रजिस्टार विवेक रंजन दुबे इस गेंहु सड़ाने के प्रकरण को खाद्य विभाग व नागरिक आपूर्ति निगम से सम्बंधित मामला बता कर अपनी ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे है।जब श्री दुबे से पूछा गया की क्या इस तरह से सहकारीता विभाग में निलंबन करके बहाल किया जा सकता है तो उनका कहना था की मुझे यह मामला अभी पता चला है मै इसको दिखवाता हूँ।इस पूरे मामले की गंभीरता को DR के बयान से समझा जा सकता है।

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