कोरोना और लॉक डाऊन के कारण जनता परेशान है और हमारे नेता ज्ञापन-ज्ञापन खेल रहे है!

 

राजवर्धन बल्दुआ

भोपाल, कोरोना महामारी में आम जनता बहुत परेशान है।इस समय हर गली मोहल्ले में लोगों ने अपनो को खो दिया है।अस्पतालों में जनता को इलाज नहीं मिल पाया तो वही आक्सीजन की कमी से कई जान चली गई है।सरकार ने कोरोना की रोकथाम के लिए लंबा लॉक डाऊन लगा दिया है।जिससे आम आदमी रोटी-पानी के लिए तक तरस गया है।इस लॉक डाऊन ने मध्यम वर्ग की कमर तोड़ कर रख दी है।निजी संस्थाओं में नौकरी करने वालों को वेतन नहीं मिल पा रहा है तो दूसरी ओर दुकानदारो को बिजली बिल,किराया,बैंक ब्याज,स्कूल फ़ीस सहित घर खर्च एवं तमाम तरह के कई खर्चो को घर बैठे ही देना पड़ रहा है।ऐसा क़ब तक करना होगा किसी को नहीं पता है।इस आफ़त काल में जंहा नेताओ को जनता की मदद करना चाहिए तो वही यह नेता गंभीर मुद्दों को छोड़ काफ़ी निराशाजनक विषय पर ज्ञापन ज्ञापन खेल रहे है।मध्य प्रदेश के प्रमुख राजनैतिक दल भाजपा-कांग्रेस इन दिनो आम जनता की समस्याओ को अनदेखा कर व्यक्ति विशेष की राजनीति पर ऊतारु हो चुके है।कांग्रेस नेता कमलनाथ ने जब से हनी ट्रेप कांड की पेन ड्राइव अपने पास होने का दावा किया है तभी से म.प्र भाजपा ने उनको घेरना शुरू कर दिया है।



भाजपा पूरे प्रदेश में थाना-थाना जा कर कमलनाथ के ख़िलाफ़ FIR का ज्ञापन दे रही है।इस ज्ञापन में कहा जा है की कमलनाथ ने कोरोना को भारतीय वेरियंट बता कर देश का अपमान किया है।भोपाल क्राइम ब्रांच ने तो इस बात पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर आपदा प्रबंधन की विभिन्न धाराओं में केस तक दर्ज कर लिया है।इस FIR के बाद कांग्रेस नेताओ ने प्रदेश भर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को घेरते हुए कोरोना से मौतों का ज़िम्मेदार बताया है।



कांग्रेस नेता भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर FIR की माँग को लेकर जगह-जगह ज्ञापन दे रहे है।आपदा काल में हमारे राज नेताओ के इस दिवालियापन पर जागरूक मतदाताओं का कहना है की कोरोना काल में भी राजनीति खेली जा रही है।सत्ताधारी दल हमारी कोई ख़ास मदद नहीं कर पाया वही विपक्ष भी सत्ता के ख़िलाफ़ मुँह सिल कर कोरोना काल में तलाशबीन बना रहा।परंतु अब मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए यह दोनो दल के नेता ज्ञापन-ज्ञापन की राजनीति खेल रहे है।मजबूर जनता सब समझ रही है।परंतु वह मौन धारण कर उचित समय पर “उचित निर्णय”लेने की राह देख रही है।

जनता पर बंदिश,नेताओ को खुली छूट क्यों?

ऐसा लगता है की कोरोना रोकने के लिए सरकार ने लिए सरकार ने सारी बंदिशें आम जनता पर ही लगा कर रखी हुई है।बाज़ारो को बंद कर दिया गया है।व्यापारी अपनी दुकान नहीं खोल सकता है।प्रदेश भर में छोटे-छोटे फल विक्रेता-दुकानदारो के साथ पुलिस-प्रशासन द्वारा मारपीट करने की घटनाएँ रोज़ हो रही है।परंतु इसी लॉक डाऊन में राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को छूट है।सत्ताधारी दल भाजपा ज्ञापन दे रही है।पश्चिम बंगाल में हिंसा के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण धरना तक दे डाला।कांग्रेस अपने नेता कमलनाथ पर FIR का जगह-जगह विरोध कर दिया है।परंतु आम आदमी की दुकान खुल सके लॉक डाऊन में जनता के साथ मारपीट न हो इसके लिए कोई भी नेता-अभिनेता आवज तक नहीं उठा पा रहा है।जबकि प्रदेश भर में स्थानीय निकाय के चुनाव होने है।चुनाव में आरक्षण तक हो चुका है परंतु मतदाताओ की कोई पूछ परख तक नहीं हो पा रही है।जनता के मानवाधिकारो की रक्षा तक नेता नहीं कर पा रहे है।अफ़सरशाही हावी हो चली है।लॉक डाऊन में हर काम की छूट नेताओ को ही मिल रही है।

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